एंट्री ड्रग्स पॉलिसी बनाने के साथ गढ़वाल और कुमांऊ में सरकारी नशा मुक्ति केंद्र खोलने की पैरवी
देहरादून। प्रदेश में इस समय ढाई सौ से अधिक नशा मुक्ति केंद्र चल रहे हैं, लेकिन अब तक इनकी पंजीकरण और निगरानी की व्यवस्था तक नहीं है। दूसरी तरफ ड्रग्स की समस्या विकराल हो रही है। इसलिए पुलिस ने सरकार के सामने एंट्री ड्रग्स पॉलिसी बनाने के साथ ही गढ़वाल और कुमांऊ में एक- एक सरकारी नशा मुक्ति केंद्र खोलने की पैरवी की है। ‘प्रेस से मिलिए’ कार्यक्रम में डीजीपी अशोक कुमार ने कहा कि ड्रग्स की समस्या दिनों दिन बढ़ती जा रही है। इसका प्रमाण प्रदेशभर में धड़ल्ले से खुल रहे नशा मुक्ति केंद्र हैं। इनकी संख्या ढाई सौ तक पहुंच गई है, जिसमें हजारों की संख्या में लोग भर्ती हैं। लेकिन अब तक इन केंद्रों के पंजीकरण और नियंत्रण की कोई व्यवस्था नहीं है। अशोक कुमार के मुताबिक गत दिनों पुलिस मुख्यालय आए सीएम के सामने पुलिस ने सभी विभागों के सहयोग से एंट्री ड्रग्स पॉलिसी बनाने का प्रस्ताव रखा है। जिस पर सीएम ने सहमति जताई है। उन्होंने बताया कि प्रदेश में अब तक एक भी सरकारी नशा मुक्ति केंद्र न होने से नशे के लती व्यक्ति को निजी केंद्र में भर्ती कराने में पुलिस को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। इसलिए पुलिस ने दोनों मंडलों में एक- एक सरकारी नशा मुक्ति केंद्र खोलने का भी प्रस्ताव दिया है।
डीजीपी ने कहा कि जल्द ही पुलिस थाना, चौकियों में जनता से नियमित संवाद की व्यवस्था बनाई जाएगी। प्रत्येक तीन महीने में ऐसे कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे, जिसमें उच्चाधिकारी भी शामिल होंगे। उन्होंने बताया कि पुलिस को स्मार्ट बनाने की दिशा में भी काम किया जा रहा है। बीट अधिकारी अब मोबाइल पर ही ई डायरी लिख सकेंगे। स्मार्ट हेलमेट, पीएम रिपोर्ट ऑनलाइन किए जाने और ड्रोन के जरिए ऊंची बिल्डिंग में आग बुझाने के प्रबंध भी किए जा रहे हैं। इसके साथ ही पुलिस पाठ्यक्रम में भी साइबर क्राइम को भी शामिल किया जा रहा है। मार्च तक प्रदेश के सभी थानों में महिला केबिन बना दिए जाएंगे। डीजीपी ने कहा कि इंस्पेक्टर रैंक के थानों में, बिना कारण बताए, एसआई को थानाध्यक्ष नहीं बनाया जाएगा। साथ ही एक साल से पहले यदि थानाध्यक्ष को बदला जाता है तो, जिला पुलिस प्रमुख को रेंज अधिकारी को कारण बताना होगा।