एम्स ऋषिकेश में भर्ती प्रक्रिया में अनियमितताओं पर जवाब मांगा

नैनीताल। हाईकोर्ट ने एम्स ऋषिकेश में भर्ती प्रक्रिया में अनियमितताओं के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की। कोर्ट ने मामले में राज्य सरकार, केंद्र सरकार एवं एम्स के निदेशक से चार सप्ताह के भीतर जवाब पेश करने को कहा है। मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति विपिन सांघी एवं न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ में हुई। मामले के अनुसार ऋषिकेश निवासी आशुतोष शर्मा ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा है कि केंद्र सरकार की ओर से दिल्ली एम्स की तर्ज पर ऋषिकेश में एम्स की स्थापना की गई। संस्थान में पदों को भरने के लिए स्पष्ट आरक्षण दिया गया, लेकिन निदेशक प्रो. रविकांत के कार्यकाल में अन्य पिछड़ा वर्ग व अनुसूचित जाति एवं जनजाति की सीटों की भर्ती में 32 डॉक्टरों की नियुक्ति प्रक्रिया के इतर अपने परिजनों व करीबी लोगों को नियुक्ति दे दी गई। याचिकाकर्ता का यह भी कहना है कि प्रो. रविकांत की पत्नी डॉ. बीना रवि को अवैध तरीके से सर्जरी विभाग में बतौर संविदा प्रोफेसर नियुक्त कर दिया गया। प्रो. रविकांत के बहनोई की भी विजिटिंग फैकल्टी के तौर पर नियुक्त की गई है। यौन उत्पीड़न जैसे आरोप के चलते उन्हें दो साल में ही छोड़कर जाना पड़ा। वहीं निदेशक के करीबी दोस्त एसपी अग्रवाल को बिना किसी साक्षात्कार व प्रक्रिया के सर्जिकल ओंकोलॉजी विभाग में तैनात कर दिया गया। इसकी शिकायत केंद्र सरकार व सीईसी से की गई तो उसका संज्ञान नहीं लिया गया। शुक्रवार को मामले में सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने जवाब मांगा है।

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