
नई टिहरी। तीर्थनगरी देवप्रयाग में तीन दिवसीय बैसाखी पर्व के शुभारंभ पर संगम तट और रामकुंड में मंगलवार रात से श्रद्धालुओं ने डौर और थाली बजाकर देवी देवताओं और पितरों के आह्वान किया। दूसरी ओर बैसाखी पर्व को लेकर देवप्रयाग में श्रद्धालुओं की भीड़ जुटनी शुरू होने लग गई है।
बीते मंगलवार से गंगा स्नान, पूजा,अर्चना के साथ इष्ट देव भगवान रघुनाथ के दर्शनों के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु तीर्थनगरी में जुटने लगे थे। दिल्ली ,चंडीगढ़, पंजाब सहित पौड़ी जिले के सलाण क्षेत्र से बड़ी संख्या में पहुंचे, श्रद्धालुओं ने डौर थाली बजाकर पूरी रात देवी देवताओं का आह्वान किया। धामी लोगों द्वारा जागर, घंडयाला लगाया गया, जिस पर देवी देवता अपने पशवा पर अवतरित हुए। विशेष महिला पुरुष पर अवतरित इन देवी देवताओं तथा पितरों से श्रद्धालुओं की सुख समृद्धि की कामना की। रामकुंड और संगम पर श्रद्धालुओं के संकट दूर करने के लिए जल छाया पूजन और डोली पूजाऐं की गई। परंपरागत पूजा के लिये महिलाएं अपने केश खोलकर बिना गहने पहने,हाथ में छोटा चाकू लेकर लेकर नंगे पांव देवप्रयाग तीर्थ तक पहुंचती है।
पूजा के बाद तीन दिन तक महिलाएं सूर्य उदय होने पर जल चढ़ाती हैं और श्रंगार नहीं करती अपने बालों को भी नहीं बाधती। केवल सुहागन के तौर पर नाक में फूली लगाए रखती है। पंडित सन्तोष भट्ट ने बताया कि बैसाखी जैसे पर्व पर देवप्रयाग में जल छाया पूजन से सभी बाधायें दूर हो जाती है। सतयुग के इस तीर्थ में बड़ी संख्या में प्रवासी परंपरागत पूजा के लिए आते हैं। आचार्य भाष्कर जोशी ने बताया कि बैशाखी पर्व का मुख्य स्नान गुरुवार को होगा,क्षेत्र में पड़ रही तेज गर्मी से इस बार बैसाखी पर्व पर गंगा स्नान के लिए भारी संख्या में श्रद्धालुओं का आने का सिलसिला शुरु हो गया है।





