सड़कों पर घूमने वाले पशुओं की मौत का सबसे बड़ा कारण आया सामने

बीते 15 दिनों में सात बैल व गऊओं का किया गया पोस्टमार्टम

एक-एक जानवर के पेट से निकली 20 किलो रस्सियां, बोरियां व प्लास्टिक

 

आरएनएस सोलन (नालागढ़):
सडक़ों पर दिन रात बेसहारा घूमने वाले पशुओं की मौत का सबसे बड़ा कारण सामने आया है जो कि दर्दनाक और हैरान करने वाला है। बेसहारा पशुओं के पेट में प्लास्टिक, बोरियां, रस्सियां उनकी दर्दनाक मौत का कारण बन रही है। प्रदेश सरकार द्वारा हांडाकुंडी में चल रही काऊ सैंचूरी में एक बैल के पेट से 20 किलो से अधिक बोरियां, रस्सियां और प्लास्टिक निकला है। पिछले 15 दिनों मे काऊ सैंचूरी में 7 गाय व बैलों की मौत के बाद पोस्टमार्टम में निकली सामग्री को देखकर पशु चिकित्सकों ने भी चिंता व्यक्त की है।
पशुओं की मौत के कारण का खुलासा करते हुए वरिष्ठ पशु चिकित्सा अधिकारी राकेश कुमार ने बताया कि पिछले 15 दिनों में काऊ सैंचूरी हांडाकुडी में 7 पशुओं की मौत के बाद उनका पोस्टमार्टम किया गया। मरने वाले सभी पशु काऊ सैंचूरी में बाहर से लाए गए वह बेसहारा पशु थे जिन्हें खाने के लिए सडक़ों पर कुछ नहीं मिलता। पोस्टमार्टम के दौरान इन पशुओं के पेट से 20 किलो से अधिक प्लास्टिक, बोरियां व रस्सियां निकली हैं। पेट में भारी मात्रा में यह सामग्री होने की वहज से इन पशुओं की मौत हो गई।

6 घंटे काऊ सैंचूरी में फंसी रही पोस्टमार्टम करने गई चिकित्सकों की टीम 

बीबीएन के हांडा कुंडी में प्रदेश सरकार द्वारा चलाई जा रही काऊ सैंचूरी में सेवाएं देने वाले चिकित्सों को भारी मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है। शनिवार को काऊ सैंचूरी में गई पशु चिकित्स अधिकारी व उनकी टीम 6 घंटे तक वहीं फंसी रही। बारिश के चलते सरसा नदी उफान पर होने के कारण टीम को वापिस लौटना मुश्किल हो गया। 6 घंटे के इंतजार के बाद जब सरसा में पानी कम हुआ तो टीम ने ट्रैक्टर से नदी को पार किया। प्रदेश सरकार द्वारा काऊ सैंचूरी सरसा नदी के पार बना तो दी गई लेकिन वहां जाने के लिए कोई रास्ता नहीं है। सैंचूरी में जाने के लिए बनाया गया वैक्लपिक रास्ता पानी के बहाब में बह गया। जिसके चलते चिकित्सों को भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ा और वरिष्ठ पशु चिकित्सा अधिकारी राकेश कुमार, फार्मासिस्ट गुरमेल सिंह, हेमराज व जयपाल 6 घंटे तक सरसा नदी के पार ही फंसे रहे।