
विकासनगर(आरएनएस)। चकराता वन प्रभाग के मझोग बीट में शैक्षणिक भ्रमण पर पहुंचे प्रशिक्षु वनाधिकारियों को स्थानीय जैव विविधता, जड़ी बूटियों की जानकारी देने के साथ ही चीड़ बाहुल्य जंगलों में वनाग्नि से निपटने के तरीके बताए गए। डीएफओ समेत अन्य वन अधिकारियों ने मझोग वीट में मॉकड्रिल कर प्रशिक्षु अधिकारियों को वनों में लगने वाली आग पर नियंत्रण पाने के तरीके बताए। डीएफओ वैभव कुमार ने बताया कि उत्तराखंड में वनाग्नि की घटनाएं अधिक होती हैं, जिनमें हर साल करोड़ों रुपये की वन संपदा का नुकसान होता है। वनाग्नि की घटनाओं से जैव विविधता और जंगल का पारिस्थितिकी तंत्र भी असंतुलित हो रहा है, जिसका खामियाजा मानव और वन्य जीवों को भुगतना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि जंगलों में आग की घटनाओं को फैलने में चीड़ बाहुल्य जंगल सबसे अधिक खतरा होते हैं। उन्होंने फायर लाइन समेत अन्य परंपरागत उपकरणो के माध्यम से वनो की आग को नियंत्रित करने का प्रशिक्षण प्रशिक्षु अधिकारियों को दिया। इसके साथ ही प्रशिक्षु आईएफएस अधिकारियों को स्थानीय नर्सरी में उगाई जा रही है। अतुल, जगारिया, आर्चा, कूटकी, कूट, वन करड़ी, रिद्धि, हरी मूसली, जंगली प्याज, जंगली लहसुन, बज्रदंत, काली जीरा, पित्त पुष्पी, वन तुलसी, पदम, तिल पुष्पी, पीली जड़ी, खुरसानी, समया, वन अजवाइन, ऋषभ, अकरकरा, क्षीर काकोली, किनगोड़ा आदि औषधीय जड़ी बूटियों की जानकारी दी गई। साथ ही यहां की जैव विविधता की जानकारी भी मुहैया कराई गई। ऊंचाई वाले स्थानों पर पाए जाने वाले बांज, बुरांश, खर्सू, मोरू और देवदार के वृक्षों की उपयोगिता भी उन्हें बताई गई। वहीं, जंगली जानवरों और पक्षियों की प्रजातियों के बारे में भी प्रशिक्षु अधिकारियों को बताया गया। इस दौरान उप प्रभागीय वनाधिकारी विभु चौहान, वन क्षेत्राधिकारी शिव प्रसाद गैरोला, वन दरोगा दिनेश पंवार, नवीन राणा आदि मौजूद रहे।

