


देहरादून(आरएनएस)। दून विश्वविद्यालय में शुक्रवार को सस्टेनेबल एनवायर्नमेंट के लिए नई तकनीक विषय पर दो दिनी कार्यशाला में विशेषज्ञों ने जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभाव और उसकी चुनौतियों से निपटने के समाधान पर चर्चा की। कार्यशाला का आयोजन स्कूल ऑफ़ एनवायर्नमेंट एंड नेचुरल रिसोर्सेज ने किया। उद्घाटन सत्र में दून विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. सुरेखा डंगवाल ने अतिथियों का स्वागत करते हुए विश्वविद्यालय की उपलब्धियां बताई। उन्होंने मजबूत एकेडमिक-इंडस्ट्री पार्टनरशिप और शोध नतीजों को समाज तक असरदार तरीके से पहुंचाने पर जोर दिया। मुख्य अतिथि भारतीय पेट्रोलियम संस्थान निदेशक डॉ. हरेंद्र सिंह बिष्ट ने जलवायु परिवर्तन की बढ़ती चुनौतियों से निपटने के लिए नई वैज्ञानिक तकनीक अपनाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन अनेक आपदाओं के लिए जिम्मेदार है। इसलिए समाज और आर्थिक हित के लिए उचित समाधान तलाशने होंगे। स्कूल ऑफ़ एनवायरनमेंट एंड नेचुरल रिसोर्स डीन डॉ. सुरेंद्र सिंह सुथार ने प्राकृतिक संसाधनों के उचित उपयोग पर जोर दिया। कार्यशाला समन्वयक डॉ. अचलेश दावरे ने शोध क्षमता बढ़ाने की बात कही। भारतीय रिमोट सेंसिंग में फॉरेस्ट्री और इकोलॉजी हेड, डॉ. हितेंद्र पडालिया ने हिमालय के पारिस्थितिकीय तंत्र के बदलाव के खतरों पर चर्चा की। कार्यशाला में विश्वविद्यालय के विभिन्न फैकल्टी सदस्य और छात्र-छात्राएं शामिल हुए। मौके पर कार्यक्रम संयोजक डॉ. अचलेश दावरे, डॉ. उज्ज्वल कुमार मौजूद रहे।


