12 सालों बाद कालीमाई की दिवारा यात्रा की होने लगी तैयारी

रुद्रप्रयाग(आरएनएस)।   सिद्धपीठ कालीमठ की दिवारा यात्रा की तैयारियां होने लगी है। कालीमठ मंदिर में दिवारा यात्रा को लेकर श्री कालीमाई पंचगांई समिति का पुर्नगठन किया गया है जिसमें आगामी समय में होने वाली यात्रा को लेकर जिम्मेदारियां सौंपी गई। उत्तराखंड की धार्मिक और पौराणिक दिवारा यात्राओं में कालीमाई की दिवारा यात्रा का अपना अलग ही महत्व है। कालीमठ क्षेत्र में स्थित पांच गांव कविल्ठा, ब्यूंखी, कुणजेठी, जग्गी, बेड़ुला और कालीमठ के लोगों की देखरेख में इस दिवारा यात्रा का आयोजन होता है। बुधवार को सर्वसम्मति से श्री कालीमाई पंचगांई समिति कालीमठ का पुर्नगठन किया गया जिसमें इस समिति के अध्यक्ष पद के लिए प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता एवं रंगकर्मी लखपत सिंह राणा को चुना गया है।
इस यात्रा का शुभारंभ मां भगवती के अपने गोठ (गांवों) से होगा। यह यात्रा प्रारंभ होने वाले वर्ष से अगले पांच वर्षो तक निरंतर जारी रहेगी। इस दीर्घकालीन यात्रा के बाद पवित्र त्रिवेणी संगम पर स्नान कर महायज्ञ का आयोजन किया जाएगा। यज्ञ की पूर्णाहुति के बाद मां भगवती पुनः अपने मंदिर में विराजमान होंगी। इस पावन यात्रा के आयोजन का प्रत्येक 12 वर्षों में होने वाली यह सनातन परंपरा अत्यंत ही श्रद्धा एवं भक्ति के साथ निभाई जाती है। समिति के संचालन के लिए आचार्य सुरेशानंद गौड़ को मंत्री पद पर नियुक्त किया गया है, जबकि अन्य पदों पर सुदर्शन राणा, आशीष राणा, दिलबर रावत, रविंद्र राणा, रमेश चंद्र भट्ट, पुष्कर राणा, देवेंद्र सिंह राणा, शिवराज सिंह राणा, जयपाल कोठियाल, प्रेम सिंह पवार, योगेंद्र सिंह राणा, दिनेश धर्मवाण, दीपक राणा, प्रबल सिंह रावत, बचन सिंह रावत, योगेंद्र सिंह रावत आदि को जिम्मेदारियां सौंपी। इस मौके पर समिति के अध्यक्ष लखपत राणा ने सभी ग्रामीणों का आभार जताया। कहा कि समिति की प्रथम प्राथमिकता श्री बद्री केदार मंदिर समिति के साथ मिलकर मां काली की देवरा यात्रा के भव्य आयोजन और पंचगांई क्षेत्र के हक-हकूकों के संरक्षण के लिए कार्य करना होगी। भविष्य में समिति श्री बद्री केदार मंदिर समिति के साथ समन्वय स्थापित करेगी। ताकि देवरा यात्रा के सुचारु एवं भव्य आयोजन की तैयारी हो सके।

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