बाहरी लोगों को उत्तराखंड में जमीन खरीदना नाकों चने चबाने जैसा

जिला स्तर पर जमीन खरीद की मंजूरी न मिलने से आएगी दिक्कत

देहरादून(आरएनएस)।  नए भू कानून के बाद दूसरे राज्य के लोगों के लिए उत्तराखंड में जमीन खरीदना नाकों चने चबाने जैसा होगा। इसके लिए जमीन खरीद को मंजूरी देने की प्रक्रिया को बेहद जटिल कर दिया गया है। जिला स्तर पर मिलने वाली तमाम रियायतों को पूरी तरह समाप्त कर दिया गया है। अभी जिला स्तर पर जिलाधिकारी स्तर से भी बाहर के लोगों को जमीन खरीद की मंजूरी देने का नियम था। इसे सरकार ने बुधवार की कैबिनेट में पूरी तरह समाप्त कर दिया है। अब शासन के अलावा किसी को भी जमीन खरीद की मंजूरी देने का अधिकार नहीं रहेगा। जिलाधिकारी के अधिकार को पूरी तरह समाप्त कर दिया है। ऐसे में अब लोगों को जमीन खरीद को जिला स्तर से लेकर शासन स्तर तक की दौड़ लगानी पड़ेगी। सचिवालय राजस्व अनुभाग की जटिल और उलझाऊ प्रक्रिया से जूझना होगा। जमीन खरीद की प्रक्रिया को जटिल करने के पीछे सरकार की मंशा बाहरी लोगों के जमीन खरीद को हतोत्साहित करना माना जा रहा है।
2018 में किए गए भू कानून संशोधनों में ही जिलाधिकारियों को जमीन खरीद की मंजूरी देने का अधिकार दिया गया था। जमीन खरीद की प्रक्रिया को बेहद लचीला बना दिया गया था। इसके कारण कई मामलों में तो दूसरे राज्य के लोगों को जमीन खरीद की मंजूरी 24 घंटे के भीतर तक उपलब्ध करा दी गई। जिला प्रशासन स्तर पर दिखाई गई दरियादिली पर अब रोक लग सकेगी।

प्रदेश में जमीन खरीद के लिए बनेगा पोर्टल
उत्तराखंड में अब जमीन खरीद को एक राज्य स्तरीय पोर्टल तैयार होगा। इस पोर्टल में दूसरे राज्य के लोगों के जमीन खरीदने का एक एक ब्यौरा दर्ज होगा। किस व्यक्ति, किस परिवार के नाम पर किस जिले में कहां जमीन है, उसकी एक एक जानकारी दी जाएगी। पोर्टल में बाहरी लोगों की जमीन का एक एक इंच दर्ज होगा। जिलाधिकारियों की भूमिका इस मामले में बेहद अहम हो जाएगी। उन्हें नियमित रूप से पोर्टल पर जानकारियों को अपडेट रखना होगा। नियमित रूप से सूचनाएं राजस्व परिषद समेत शासन स्तर पर उपलब्ध करानी होगी।

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