वन पंचायत संगठन की बैठक में नियमावली में किए गए संशोधनों पर हुई चर्चा

अल्मोड़ा। बसोली में संपन्न वन पंचायत संगठन ताकुला की बैठक में वन पंचायत नियमावली में 2024 में किये गए संशोधनों पर चर्चा की गयी तथा वनाग्नि के कारण एवं नियंत्रण के उपायों पर विमर्श किया गया। इस अवसर पर वक्ताओं ने कहा कि आज वन पंचायतें तमाम समस्याओं से जूझ रही हैं, उनके लिए बजट की कोई व्यवस्था नहीं है। पिछले दशकों में कृषि व पशुपालन में आई गिरावट के कारण जंगलों में ग्रामीणों की निर्भरता काफी कम हुई है, इस कारण जंगल से घास, चारा पत्ती, लकड़ी इत्यादि लाने पर होने वाली वन पंचायत की आय भी लगभग समाप्त हो चुकी है। ऐसे में वित्तीय संसाधनों के अभाव में पंचायती वनों के प्रबंधन में दिक्कत आ रही है। दूसरी तरफ जंगलों से घास का उठान न होने से वनाग्नि की घटनाएं बढ़ रही हैं। बैठक में सरपंचों द्वारा इस बात पर गहरी नाराजगी जताई गई कि वन पंचायत नियमावली के अनुसार वार्षिक कार्य योजना की वित्तीय स्वीकृति रेंज स्तर पर दी जानी चाहिए, लेकिन इसके लिए उन्हें प्रभागीय वन अधिकारी से अनुमति लेनी पड़ रही है साथ ही वित्तीय स्वीकृति के दौरान माइक्रो प्लान में दी गई कई महत्वपूर्ण कार्यों को छोड़ दिया जा रहा है। वक्ताओं द्वारा जंगली जानवरों के आतंक से निजात दिलाने तथा बंदरों को पकड़ने की मांग पुरजोर तरीके से उठाई गई। बैठक को वन क्षेत्राधिकारी अल्मोड़ा मोहन राम, वन दरोगा मोहन सिंह बिष्ट, लोक प्रबंध विकास संस्था के ईश्वर ज़ोशी, वन पंचायत संगठन के अध्यक्ष सुंदर सिंह पिलख्वाल, सचिव पूरन सिंह, उपाध्यक्ष दुर्गा लोहनी, कोषाध्यक्ष बहादुर मेहता, संरक्षक प्रताप सिंह नेगी, सरपंच देवेंद्र सिह आदि ने संबोधित किया।