भारतीय हिमालयी राज्यों में नवीन अनुसंधानों को देना होगा व्यापक रूपः नमिता प्रसाद

अल्मोड़ा। हिमालयी राज्यों में वृहद चुनौतियों को दृष्टिगत रखते हुए हमें नवीन व व्यापक आयाम वाले अनुसंधानों को बढ़ावा देना होगा। यह बात पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की संयुक्त सचिव नमिता प्रसाद ने राष्ट्रीय हिमालयी अध्ययन मिशन (एनएमएचएस) की एक बैठक के दौरान कही। नई दिल्ली पर्यावरण मंत्रालय में संपन्न बैठक से लौटे एनएमएचएस के नोडल प्रमुख ईं किरीट कुमार ने बताया कि एनएमएचएस की इस बार संपन्न 24वीं बैठक में विशेषज्ञों ने लगभग एक दर्जन से अधिक अनुसंधान परियोजनाओं के चयनित प्रस्तावों पर गंभीर चिंतन किया और विभिन्न हिमालयी राज्यों की आवश्यकताओं व नवीन चुनौतियों को दृष्टिगत रखते हुए उन्हें अग्रिम अनुमोदन हेतु भेजा। इस अवसर पर नोडल अधिकारी द्वारा एनएमएचएस की अब तक की प्रगति व परियोजनाओं की स्थिति व उनकी उपलब्धियों पर संयुक्त सचिव महोदय के समक्ष प्रस्तुतिकरण दिया। संयुक्त सचिव ने देश में नवीन अनुसंधानों को वैश्विक स्तर की गुणवत्ता बनाए रखने का सुझाव दिया और कहा कि एनएमएचएस के माध्यम से बड़ी संख्या में अनुसंधान प्रस्ताव आना सकारात्मक कदम है। इस अवसर पर अल्मोड़ा में एनएमएचएस अनुदान के तहत संचालित बिच्छू घास के संरक्षण व उत्पादों पर आधारित परियोजना के तहत तैयार ग्रीन हिल्स ट्रस्ट की पुस्तिका का भी विमोचन किया गया। स्टैग विशेषज्ञ तथा मूल्यांकन कार्यशाला में इसरो से डाॅ आई एम बहुगुणा, एमआईटी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो आर के कोहली, माउन्टेन डिविजन प्रमुख डाॅ सुसेन जार्ज के, असम विश्वविद्यालय के प्रो आर एम पंत, दिल्ली तकनीकी विश्विद्यालय के प्रो वी के मिनोचा, त्रिभुवन कालेज राजस्थान के प्रो जे के गर्ग, आईसीएआर वीपीकेएएस के डाॅ जे के बिष्ट, एनआईएस से जुड़े डाॅ वीसी गोयल, सीआरआरआई के डाॅ किशोर कुमार, आईआईटी रूड़की के प्रो एसके मिश्रा, डीएसटी से डाॅ स्वाति जैन व डब्लूडब्लूएफ के निदेशक डाॅ जी अरीन्द्रन सहित विभिन्न राज्यों के सचिवों के प्रतिनिधियों आदि ने प्रतिभाग किया।