सीमाओं की सुरक्षा हेतु सड़क और बुनियादी सुविधाएं जरूरी : त्रिवेंद्र रावत

देहरादून। सीमाओं की सुरक्षा के लिए वहां तक जाने वाली सड़कें और आसपास के गांवों में बुनियादी सुविधाएं अच्छी होना बेहद जरूरी है। खासकर सामरिक महत्व से संवेदनशील उत्तराखंड जैसे पहाड़ी राज्यों के लिए ये सबसे बड़ी चुनौती है। ये बात पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने गुरुवार को दून विश्वविद्यालय में प्रथम सीडीएस जनरल बिपिन रावत की जयंती के अवसर पर सीमांत सुरक्षा एवं राष्ट्रीय सुरक्षा पर आयोजित व्याख्यान के दौरान कही। पूर्व सीएम त्रिवेंद्र ने कहा कि महान विभूतियों की जयंती पर गंभीर चिंतन किए जाने की आवश्यकता है ताकि आने वाली पीढ़ियां उनसे प्रेरणा ले सकें। उन्होंने बताया कि जनरल बिपिन रावत के साथ काम करने का उनको भी अवसर मिला था। जिसमें उन्हें दिखा कि जनरल रावत में एक विशेषता और खुलापन था। उनके अंदर निर्णय लेने की एक अद्भुत क्षमता थी। उन्होंने भारतीय सेना के सुधार में बहुत सारे कार्य किए। इसीलिए आज हम अपने देश की सीमाओं की रक्षा करने में पहले की तुलना में ज्यादा सशक्त है। विश्व संवाद केंद्र के प्रमुख विजय कुमार ने कहा कि सीमाओं को सुरक्षित रखना बहुत जरूरी है। अन्यथा देश की सीमाएं सिमट कर रह जाती हैं। उन्होंने बताया कि प्राचीन समय में भारतवर्ष की सीमाएं समस्त हिमालय क्षेत्र से लेकर अफगानिस्तान, ईरान, पाकिस्तान, और म्यानमार तक फैली हुई थी। लेकिन वर्तमान में भारत की सीमाएं सिमट गई है। मेजर जनरल (सेवानिवृत) आनंद सिंह रावत ने कहा कि जनरल बिपिन रावत युवाओं के लिए सदैव ही प्रेरणा स्रोत रहेंगे।
सीडीएस बिपिन रावत तीव्र बुद्धि के थे और वह लोगों की प्रतिभा आसानी से पहचान लेते थे। उन्होंने ही इंटीग्रेटेड थियेटर कमांड बनाने पर जोर दिया। उन्होंने विवि को जनरल बिपिन रावत की जयंती में विभिन्न रिसर्च पेपर और वाद विवाद प्रतियोगिता कराने की सलाह दी। जिसे वे स्पॉन्सर करेंगे। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रोफेसर सुरेखा डंगवाल ने कहा कि देश के प्रथम सीडीएस जनरल बिपिन रावत का उत्तराखंड से होना हम सभी को गौरवान्वित महसूस करवाता है। विवि उनकी जंयती पर रिसर्च पेपर और प्रतियोगिताएं कराने पर विचार करेगा। आज देश के युवाओं को डिफेंस क्षेत्र में जाने के लिए जागरुक करना भी विवि का एक बड़ा लक्ष्य होगा। मेजर जनरल (सेवा निवृत) मोहनलाल असवाल ने जनरल बिपिन रावत के साथ घटित पलों को याद किया। कार्यक्रम का संचालन प्रो. एचसी पुरोहित ने किया। इस दौरान कुलसचिव डा. एमएस मंदरवाल, प्रो. आरपी ममगाईं, प्रो. हर्ष पति डोभाल, प्रो कुसुम अरुणाचालम, डॉ राजेश कुमार, डॉ रीना सिंह और डॉ चेतना पोखरियाल आदि मौजूद रहे।

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