पीएफ के 4 करोड़ वापस लाने की तैयारी में जीएमवीएन
जीएमवीएन के प्रबंध निदेशक आशीष चौहान ने अधिकारियों के साथ की रिव्यू बैठक
देहरादून। गढ़वाल मंडल विकास निगम की तीन अक्टूबर को हुई बोर्ड बैठक में लिए गए फैसलों पर जल्द कार्रवाई शुरू होगी। जीएमवीएन के प्रबंध निदेशक आशीष चौहान ने अधिकारियों के साथ रिव्यू बैठक की। इस दौरान बोर्ड बैठक में लिए गए फैसलों पर मंथन हुआ। प्रबंध निदेशक ने कर्मचारी भविष्य निधि ट्रस्ट के चार करोड़ रुपये कंपनियों में फंसने की डिटेल भी तलब की है। प्रबंध निदेशक ने बताया कि इस मामले में जल्द ही एक कमेटी गठित की जाएगी। कमेटी के निर्णय के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी। प्रबंध निदेशक ने बताया कि उनकी प्राथमिकता फंसी धनराशि वापस लाना है। जीएमवीएन के कार्मिकों का पीएफ पंजाब स्टेट इंडस्टियल कॉर्पोरेशन और पंजाब फाइनेंशियल कॉर्पोरेशन जमा होता है। फिलहाल इन कंपनियों में पीएफ के चार करोड़ रुपये जमा है, जिसमें 2.26 करोड़ मूल धनराशि और 1.81 करोड़ ब्याज। आर्थिक हालात बिगडऩे पर बीते दिनों जीएमवीएन ने दोनों कंपनियों से पीएफ की धनराशि देने को कहा तो उन्होंने घाटे का हवाला देकर हाथ खड़े कर दिए। जीएमवीएन ने कंपनियों को नोटिस भी भेजे, लेकिन भुगतान नहीं किया गया। बोर्ड बैठक में यह मसला प्रमुखता से उठाया गया था।
पीसीएस अधिकारियों की वरिष्ठता पर फिर सुप्रीम कोर्ट में सरकार
सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के बावजूद शासन में अभी तक पीसीएस अधिकारियों की वरिष्ठता को लेकर कोई निर्णय नहीं हो पाया है। कारण, सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के कुछ अंश ऐसे हैं, जिनमें वरिष्ठता को लेकर भ्रम की स्थिति उत्पन्न हो रही है। ऐसे में सरकार ने अब सुप्रीम कोर्ट से संबंधित आदेश को स्पष्ट करने का अनुरोध किया है। प्रदेश में वर्ष 2010 से ही सीधी भर्ती और पदोन्नत पीसीएस के बीच वरिष्ठता का विवाद चल रहा है। दरअसल, उत्तर प्रदेश से अलग होकर वर्ष 2000 में जब उत्तराखंड का गठन हुआ, तब उत्तर प्रदेश से काफी कम पीसीएस अधिकारी उत्तराखंड आए। अधिकारियों की कमी को देखते हुए तत्कालीन सरकार ने तहसीलदार, कार्यवाहक तहसीलदारों को तदर्थ पदोन्नति देकर उपजिलाधिकारी (एसडीएम) बना दिया था। यह सिलसिला वर्ष 2003 से 2005 तक चला। इसी दौरान वर्ष 2005 में सीधी भर्ती से 20 पीसीएस अधिकारियों का चयन हुआ।
विवाद की स्थिति तब पैदा हुई, जब उत्तराखंड शासन ने अधिकारियों की पदोन्नति के लिए वर्ष 2010 में एक सीधी भर्ती और एक तदर्थ पदोन्नति का फॉर्मूला तैयार कर आपत्तियां मांगी। पदोन्नत पीसीएस अधिकारियों ने इस पर एतराज जताते हुए पहले हाईकोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट की शरण ली। इसी वर्ष फरवरी में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया। इसे सीधी भर्ती वालों ने अपनी जीत बताया और शासन से इसी आधार पर पदोन्नति करने की मांग की। वहीं पदोन्नत पीसीएस ने इसी आदेश के एक अंश का उल्लेख करते हुए इसे अपने हक में बताया। काफी मंथन के बाद शासन ने अब इस मामले में फिर से सुप्रीम कोर्ट की शरण ली है। शासन ने सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया है कि वह आदेश को लेकर स्थिति स्पष्ट करे।
पूर्व महाप्रबंधक के खिलाफ जल्द होगी एफआईआर
प्रबंध निदेशक ने बताया कि पूर्व महाप्रबंधक राहुल शर्मा पर लगे गबन के आरोप में एक-दो दिन में एफआइआर दर्ज कराने के आदेश जारी कर दिए जाएंगे। उन्होंने बताया कि इस मामले की विभागीय जांच भी चल रही है। पूर्व महाप्रबंधक पर आरोप है कि पद पर रहते हुए उन्होंने खनन ठेकेदारों को अनुचित लाभ पहुंचाने और निगम को क्षति पहुंचाने के लिए आपराधिक षड्यंत्र के तहत दस्तावेज तैयार किए। राहुल शर्मा को निलंबित करने के बाद टर्मिनेट किया गया था।