तीन दिवसीय पंचकर्म कार्यक्रम का हुआ समापन

पंचकर्म चिकित्सा एवं योग परस्पर पूरक एवं सहायक: भारद्वाज

हरिद्वार। उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय गुरुकुल परिसर में तीन दिवसीय पंचकर्म कार्यक्रम के समापन समारोह की अध्यक्षता करते हुए गुरुकुल कांगड़ी विवि के पूर्व प्रो. ईश्वर भारद्वाज ने कहा कि पंचकर्म शरीर शोधन की वैज्ञानिक एवं प्रभावी प्रक्रिया है। पंचकर्म चिकित्सा एवं योग परस्पर पूरक एवं सहायक हैं। इससे पहले प्रथम वैज्ञानिक सत्र का संचालन डॉ. सुनीता ने किया। अध्यक्षता प्रो. अरुण कुमार त्रिपाठी ने की। मुख्य वक्ता डॉ. रवि शर्मा ने पंचकर्म की उपयोगिता पर प्रकाश डाला। मेवाड़ विश्वविद्यालय, चित्तौड़ की ज्योतिष विभाग की प्रो अंजना जोशी ने ज्योतिष और आयुर्वेद विषय पर व्याख्यान प्रस्तुत किया। तृतीय सत्र में राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान जयपुर के रोग विज्ञान विभाग के प्रो. सुरेंद्र कुमार शर्मा ने पंचकर्म में प्रयोगशाला परीक्षण की उपयोगिता पर प्रकाश डाला। श्री कृष्णा आयुर्वेद यूनिवर्सिटी कुरुक्षेत्र के पंचकर्म के प्रो. आशीष मेहता और डॉ कार्तिकेय, डॉ दिनेश गोयल ने भी विचार रखे। योजन सचिव प्रो. उत्तम कुमार ने बताया कि तीन दिनों तक चले कार्यक्रम में 119 शोध पत्रों का वाचन हुआ एवं 26 अतिथि विद्वानों द्वारा व्याख्यान प्रस्तुत किए गए। विद्वान वक्ताओं ने पंचकर्म पर अपना चिंतन एवं अनुभव सबके सामने रखा। इस अवसर पर प्रो. प्रेमचंद शास्त्री, प्रो. अवधेश मिश्रा, प्रो. विपिन पांडे, प्रो. खेमचंद शर्मा प्रो. वीरेंद्र कुमार टम्टा, प्रो. अनंतराम शर्मा, प्रो. राजकला, डॉ. शिखा पांडे आदि मौजूद थे।


error: Share this page as it is...!!!!