श्रमिकों के अधिकार पहले से अधिक हुए मजबूत, तीन विधयेकों पर संसद की मुहर

नईदिल्ली,23 सितंबर (आरएनएस)। विपक्षी दलों की गैर मौजूदगी में राज्यसभा ने श्रमिकों के कल्याण और उनके अधिकारों को मजबूत करने वाले सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2020, औद्योगिक संबंध संहिता, 2020 और उपजीविकाजन्य सुरक्षा, स्वास्थ्य और कार्यदशा संहिता, विधेयक 2020 बुधवार को ध्वनिमत से पारित कर दिया। इसके साथ इन तीन विधेयकों पर संसद की मुहर लग गई। लोकसभा इन्हें पहले ही पारित कर चुकी है।
सदन में तीनों विधेयकों की संक्षिप्त चर्चा का जवाब देते हुए श्रम एवं रोजगार मंत्री संतोष कुमार गंगवार ने कहा कि श्रम कानूनों को चार संहिताओं में समाहित करने की सिफारिश वर्ष 2003-04 में संसदीय समिति ने की थी लेकिन अगले 10 वर्ष 2014 तक इस पर कोई काम नहीं हो सका। वर्ष 2014 में इस दिशा में फिर से काम शुरू हुआ और चार संहिताओं को संसदीय समितियों के पास भेजा गया। इस समिति के 74 प्रतिशत सिफारिशों को इन विधेयकों में शामिल कर लिया गया है। उन्होंने कहा कि इन विधेयकों को नए भारत की जरूरतों के अनुरूप बनाया गया है। श्रमिकों से हड़ताल का अधिकार वापस नहीं लिया गया है। 14 दिन के नोटिस व्यवस्था विवाद सुलझाने के लिए की गई है। विवादों के समाधान के लिए पुख्ता व्यवस्था की गई है। उन्होंने कहा कि संस्थानों के लिए 300 कर्मचारियों की सीमा तय करने से रोजगार के अवसरों में वृद्धि होगी। प्रवासी मजदूरों की परिभाषा को व्यापक बनाया गया है। उन्होंने कहा कि इन विधेयकों से राज्यों के अधिकारों का अतिक्रमण नहीं होगा। अपनी परिस्थितियों के अनुसार सभी राज्य इन कानूनों में बदलाव कर सकेंगे।
श्रम मंत्री ने कहा कि लोग आज के इस ऐतिहासिक दिन के साक्षी बन रहे हैं, जब श्रमिकों को 73 साल बाद उनकी सामाजिक सुरक्षा, कल्याण और अधिकारों की रक्षा को सुनिश्चित करने का प्रावधान किया जा रहा है। श्रमिकों के हितों के लिए कानून बनाना इसलिए संभव हो पा रहा है क्योंकि देश में एक जवाबदेह प्रधानमंत्री हैं। उन्होंने कहा कि सरकार ने बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर के सपनों को साकार करते हुए श्रमिकों के लिए अनेक प्रभावी कदम उठाए हैं। गंगवार ने कहा कि 29 केंद्रीय श्रम कानूनों को चार संहिताओं में समेटा गया है। इसमें पारिश्रमिक संबंधी संहिता को पहले ही संसद की मंजूरी मिल चुकी है। इन संहिताओं के प्रभावी होने के बाद लाइसेंस प्रक्रिया पूरी तरह ऑनलाइन हो जायेगी। सभी श्रमिकों को नियुक्ति पत्र देना अनिवार्य कर दिया जाएगा। प्रवासी श्रमिकों की परिभाषा को व्यापक और सुदृढ़ बनाया गया है ताकि एक राज्य से दूसरे राज्य में जाकर काम करने वाले श्रमिकों को भी सरकार की कल्याणकारी योजनाओं का लाभ मिल सके। नई श्रेणी के श्रमिकों को भी सामाजिक सुरक्षा के दायरे में लाया जायेगा। प्रवासी मजदूरों को साल में एक बार अपने गृह राज्य जाने के लिए यात्रा भत्ते का भी प्रावधान किया गया है। इसके साथ ही एक निश्चित आयु के बाद मुफ्त जांच सुविधा का लाभ भी प्रवासी मजदूरों को मिलेगा।
उन्होंने कहा कि पहले की तुलना में अब श्रमिकों के दायरे को बढ़ाया गया है और इसके तहत आईटी और सर्विस सेक्टर के भी श्रमिकों को शामिल किया गया है। इससे इलेक्ट्रॉनिक मीडिया और ई-पेपर में काम करने वाले श्रमजीवी पत्रकारों के हितों की भी रक्षा हो सकेगी। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि दुर्घटना की स्थिति में कंपनी मालिकों पर लगाए जाने वाले जुर्माने की राशि का 50 फीसदी हिस्सा पीडि़त श्रमिकों को दिए जाने का प्रावधान है। उन्होंने कहा कि सरकार का उद्देश्य सभी 50 करोड़ श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा के दायरे में लाना है। इसी क्रम में कर्मचारी राज्य बीमा (ईएसआई) का दायरा विस्तृत किया जा रहा है। असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों को भी ईएसआई के दायरे में लाया जाएगा।