17 अक्तूबर को सीएम करेंगे प्रीतम भरतवाण की जागर, ढोल सागर अकादमी का शुभारंभ
देहरादून। जागर मर्मज्ञ लोकगायक पद्मश्री प्रीतम भरतवाण की जागर व ढोल सागर अकादमी का शुभारंभ 17 अक्तूबर को सीएम पुष्कर सिंह धामी करेंगे। प्रीतम लम्बे समय से जागर व ढोल सागर विद्या पर काम कर रहे कलाकारों को निजी तौर पर इस विद्या के लिए प्रशिक्षित करते रहे हैं। लेकिन अब वह इसे व्यापक तैयारी के साथ करेंगे। अकादमी में युवाओं को निशुल्क इस विद्या की जानकारी दी जाएगी।
प्रेस क्लब में हुई प्रेसवार्ता में प्रीतम भरतवाण ने बताया कि सीएम ने उनके औपचारिक निवेदन को स्वीकार कर लिया है। सहस्त्रधारा रोड पर इस अकादमी का विधिवत शुभारंभ करेंगे। करीब छह सौ तेइस लोग पहले ही उनसे इस विद्या में प्रशिक्षण ले रहे हैं। उन्होंने ऑनलाइन कक्षाएं संचालित करने के साथ ही अकादमी में ऑफलाइन प्रशिक्षण के लिए तैयारियां की है। शौकिया कलाकारों के लिए छह माह तक व इस विद्या में अधिक रुचि व गंभीरता दिखाने वालों को एक साल का प्रशिक्षण दिया जाएगा। यह अकादमी शोध छात्रों की भी मदद करेगी जो पारम्परिक वाद्य यंत्रों की विशेषता व उत्तराखंड के विभिन्न जिलों में कुछ बदलावों के साथ बजाए जाने वाले ढोल दमौं के बारे में कुछ जानना चाहते हैं। प्रीतम के मुताबिक लोक संस्कृति का प्रमुख आधार स्तंभ ढोल व जागर ही है। इस विद्या को अगली पीढ़ी में ले जाने के मकसद से ही इस अकादमी को व्यापक स्तर पर शुरू किया जा रहा है। पहले वह अपने आवास पर ही छोटे स्तर पर इस काम को कर रहे थे। लेकिन अब इसका दायरा बढ़ाया जा रहा है। ऑनलाइन माध्यम से भी उनके पास ढोल सागर व जागर गायन के बारे में प्रशिक्षण लेने को इच्छुक कलाकारों ने सम्पर्क किया है। उनका मानना है कि राज्य में नेचुरल प्रतिभाओं की कोई कमी नहीं है, बदलते समाज में ढोल को समाज के सभी तबके के लोग अपनाए, इसके लिए बड़ी सोच की भी जरुरत है। ढोल व जागर में तकनीकी रुप से महारत हासिल करने के लिए उनके द्वारा विशेष पाठ्यक्रम भी तैयार किया गया है। जिसमें ठेठ, मंडाण, ढोल पर पंजा लगाने, धुंयाल, बेडू, मांगल, शब्द, रासौं लगाने के तरीके सिखाए जाएंगे। इस मौके पर कलम भरतवाण, सुरतम भरतवाण व समीर भरतवाण भी मौजूद रहे।