मुख्यमंत्री धामी की मंत्रिमंडल की बैठक में लिए गए अहम फैसले

देहरादून (आरएनएस)। उत्तराखंड मंत्रिमंडल की बैठक में बुधवार को राज्यहित से जुड़े कई महत्वपूर्ण प्रस्तावों पर मुहर लगी। बैठक में जैव प्रौद्योगिकी परिषद की विभागीय संरचना में बदलाव से लेकर देहरादून में बाढ़ मैदान अधिसूचना के अंतिम प्रकाशन तक, कई बड़े निर्णय लिए गए।
राज्य सरकार ने जैव प्रौद्योगिकी परिषद की संशोधित विभागीय संरचना को मंजूरी दी है। हल्दी (पंतनगर) स्थित मुख्यालय एवं देहरादून स्थित एडवांस सेंटर फॉर कम्प्यूटेशनल एंड एप्लाइड बॉयोटेक्नोलॉजी के समस्त 46 स्वीकृत पदों को एकीकृत करते हुए एकल संवर्ग के रूप में रखने का निर्णय लिया गया है। साथ ही, इन पदों के भर्ती स्रोतों में बदलाव भी अनुमोदित किया गया है।
बागेश्वर जिले में भूधंसाव के मद्देनजर उच्च न्यायालय के निर्देशों के अनुपालन में भू-विज्ञान एवं खनिकर्म विभाग के ढांचे को मजबूती दी जाएगी। विभाग में 18 नए पदों का सृजन कर अतिरिक्त कार्मिकों की उपलब्धता सुनिश्चित की जाएगी, ताकि आपदा की स्थितियों से समय रहते निपटा जा सके।
राष्ट्रीय हरित अधिकरण के आदेश के अनुपालन में देहरादून जनपद की सदर और विकासनगर तहसीलों के अंतर्गत बहने वाली आसन नदी के भट्टा फॉल से लेकर आसन बैराज तक लगभग 53 किलोमीटर लंबे क्षेत्र को बाढ़ मैदान घोषित करने की अंतिम अधिसूचना जारी करने को स्वीकृति दी गई है। इस अधिसूचना के तहत प्रतिषिद्ध और निर्बंधित क्षेत्रों में कुछ निर्माण कार्यों—जैसे एसटीपी, रोपवे टावर, मोबाइल टावर, हाई टेंशन ट्रांसमिशन टावर और एलिवेटेड रोड कॉरिडोर के नींव व उपसंरचना—को अनुमति दी जाएगी।
राज्य में पांच निरीक्षण भवनों को पीपीपी मॉडल में चलाकर उनके मुद्रीकरण की योजना को मंजूरी दी गई है। रानीखेत, उत्तरकाशी, दुग्गलबिट्टा, हर्षिल और ऋषिकेश के इन भवनों का संचालन उत्तराखंड इन्फ्रास्ट्रक्चर एंड इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट बोर्ड (यूआईआईडीबी) के माध्यम से होगा। यह सुनिश्चित किया गया है कि भूमि का स्वामित्व लोक निर्माण विभाग के पास ही रहेगा। इस कदम से निरीक्षण भवनों का बेहतर रखरखाव हो सकेगा और विभाग को अतिरिक्त राजस्व भी प्राप्त होगा।
राज्य में स्वास्थ्य क्षेत्र को और व्यवस्थित करने के उद्देश्य से राष्ट्रीय सहबद्ध और स्वास्थ्य देखरेख वृत्ति आयोग अधिनियम-2021 के तहत उत्तराखंड राज्य सहबद्ध एवं स्वास्थ्य देखरेख परिषद के गठन को कैबिनेट की मंजूरी दी गई है। यह परिषद स्नातक एवं स्नातकोत्तर पराचिकित्सा पाठ्यक्रमों को मान्यता देने, पंजीकरण की एकरूपता बनाए रखने और अंतरराज्यीय पंजीकरण को सुगम बनाने में सहायक होगी।
महिला एवं बाल कल्याण को लेकर भी एक अहम निर्णय लिया गया। मुख्यमंत्री महिला एवं बाल बहुमुखी सहायता निधि (कॉर्पस फंड) की नियमावली के अंतर्गत विदेशी मदिरा और बियर पर लगे उपकर से प्राप्त धनराशि को महिला एवं बाल विकास समिति के माध्यम से संचालित किया जाएगा। इस निधि के जरिये आपदाओं में अनाथ हुए बच्चों, निराश्रित महिलाओं और वृद्ध महिलाओं के लिए जीविकोपार्जन व जीवन निर्वहन की योजनाएं संचालित की जाएंगी। इसके अतिरिक्त, नवाचार योजनाओं को भी इस फंड से समर्थन दिया जाएगा।