अंतर्राष्ट्रीय पोषक अनाज वर्ष 2023 के परिप्रेक्ष्य में वीपीकेएएस द्वारा पोषक वाटिका माह अभियान व वृक्षारोपण कार्यक्रम का हुआ आयोजन

अल्मोड़ा। आज 17 सितम्बर 2021 को भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद – विवेकानन्द पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, अल्मोड़ा द्वारा अंतर्राष्ट्रीय पोषक अनाज वर्ष 2023 के परिपेक्ष्य में पोषक अनाज हितकारकों का समेल्लन का आयोजन प्रयोगात्मक प्रक्षेत्र हवालबाग में किया गया। इस कार्यक्रम के दौरान केन्द्रीय मंत्री, कृषि एवं किसान कल्याण विभाग नरेन्द्र सिंह तोमर ने किसानों को संबोधित किया। जिसका आनलाइन प्रसारण उपस्थित किसानों को दिखाया गया। इस कार्यक्रम के अंतर्गत संस्थान द्वारा पोषक वाटिका माह अभियान व वृक्षारोपण कार्यक्रम का आयोजन किया गया।

विवेकानन्द पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, अल्मोड़ा अपनी उत्कृष्ट मिलेट शोध परियोजना के द्वारा पर्वतीय कृषकों हेतु महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। अभी तक संस्थान द्वारा मोटे अनाज व कूट फसलों की 15 प्रजातियों का विकास किया है जिनमें से मंडुवा की अधिक उपज देने वाली प्रजातियों नामतः वीएल मंडुवा 352, 376, 379 व 380 को किसानों द्वारा काफी सराहा जा रहा है। हाल ही में पोषण सुरक्षा व मूल्यवर्धन को ध्यान में रखते हुए संस्थान ने सफेद रंग के मंडुवे की एक विशेष प्रजाति वीएल मंडुवा 382 का विकास किया है जिसके दानों में कैल्शियम व प्रोटीन की मात्रा लाल व भूरे दानों वाले सामान्य मंडुवे से अधिक पायी गई है। बाजार में उपभोक्ताओं के बीच मोटे अनाज के पौष्टिक गुणों की बढ़ती हुई लोकप्रियता को ध्यान में रखते हुए मंडुवे से बने मूल्यवर्धित उत्पादों के विपणन से पर्वतीय कृषकों की आर्थिक स्थिति बढोत्तरी की व्यापक संभावना है।

इस कार्यक्रम के दौरान उत्तराखंड के विभिन्न जिलों से आये किसानों को मोटे अनाज के विषय में जानकारी दी गई। साथ ही साथ केन्द्रीय विद्यालय, अल्मोड़ा से आयी हुई छात्राओं को मोटे अनाज से संबंधित पोषकीय गुणों के विषय में अवगत कराया गया। संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक डा० डी० सी० जोशी द्वारा पोषक तत्वों की भूमिका और मानव स्वास्थ्य पर उनका प्रभाव विषय पर व्याख्यान दिया गया। इसके अतिरिक्त छात्राओं को मोटे अनाज द्वारा निर्मित मूल्य संवर्धित उत्पाद एवं नीबू के पौध भी वितरित किये गये। इस अवसर पर संस्थान के अधिकारियों, कर्मचारियों एवं किसानों द्वारा माल्टा, कागजी नीबू, पहाड़ी नीबू का वृक्षारोपण किया गया। किसानों को मटर और प्याज के बीज का वितरण किया गया। कार्यक्रम का समन्वयन वरिष्ठ वैज्ञानिक डा० डी० सी० जोशी द्वारा किया गया।


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