विक्षिप्त महिला के साथ बलात्कार करने पर अभियुक्त महेन्द्र सिंह की जमानत प्रार्थना खारिज

अल्मोड़ा। संगीन अपराध के एक मामले में माननीय अपर सत्र न्यायाधीश मनीष कुमार पाण्डे ने अभियुक्त महेन्द्र सिंह पुत्र स्व० हरी सिंह निवासी ग्राम झुड़गा पो० मासी थाना चौखुटिया जिला अल्मोड़ा की धारा 376(ठ) ता०हि० के तहत अभियुक्त के अधिवक्ता द्वारा जमानत प्रार्थना पत्र माननीय न्यायालय में प्रस्तुत की गयी जो माननीय अपर सब न्यायाधीश द्वारा खारिज की गयी। जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी पूरन सिंह कैड़ा द्वारा माननीय न्यायालय को है बताया कि दिनांक 02-08-2020 को वादी मुकदमा लक्ष्मण सिंह पूर्व ग्राम प्रधान (खीड़ा) ने थाना चौखुटिया जिला अल्मोड़ा में एक तहरीर इस आशय से दी कि अभियुक्त महेन्द्र सिंह जिसकी मासी में रेडिमेट कपटे की दुकान है के द्वारा पीड़िता जो मानसिक रूप से विक्षिप्त है के साथ मासी क्षेत्र के अन्तर्गत किसी जगह पर बलात्कार किया है उक्त तहरीर के आधार पर थाना चौखुटिया में अभियुक्त के विरुद्ध अभियोग पंजीकृत किया गया। दौराने विवेचना पुलिस मासी क्षेत्र में ग्राम सोमनाथ कालोनी पर पहुँचे तो ग्राम झुडगा निवासी गोविन्द सिंह पुत्र सुरज सिंह ने अपने मोबाईल फोन पर एक वीडियो दिखाई जिसमें एक व्यक्ति जंगल में अर्ध नग्न की दशा में एक विक्षिप्त महिला के साथ गलत काम करता हुआ दिखाई दिया तथा गोविन्द सिंह द्वारा बताया गया कि यह स्थान झुड़गा पो० मासी थाना चौखुटिया है और यह वीडियो मुझे दिनेश सिंह ने भेजी है। दिनेश ने पुलिस को बताया कि वीडियो उसी के द्वारा बनाई गयी और दोनों व्यक्तियों की तलाश की गयी तो दोनों व्यक्तियों को पन्याली पुल के पास पर बरामद किया और पुलिस द्वारा पूछ्ताछ करने पर दिनेश द्वारा बताया गया कि लगभग डेढ़ माह पहले हमारे गाँव के अभि० महेन्द्र सिंह ने ग्राम झुडगा के पास जंगल में एक विक्षिप्त महिला के साथ बलात्कार किया गया। जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी पूरन सिंह कैडा द्वारा अभियुक्त की जमानत का घोर विरोध करते हुए न्यायालय को यह भी बताया कि अभियुक्त एक अधेड़ व्यक्ति है, जिसके द्वारा पीड़िता का विक्षिप्त होने का फायदा उठाकर उसके साथ जघन्य अपराध कारित किया गया है। यदि अभियुक्त को जमानत पर रिहा किया जाता है तो वह पीड़िता एवं गवाहों को डरा धमकाकर साक्ष्यों के साथ छेड़छाड़ कर अभियोजन पक्ष के गवाह तोड़ सकता है। चूंकि उक्त गवाह अभियुक्त के गाँव के ही है। जिस कारण अभियुक्त की जमानत का कोई औचित्य नहीं है। पत्रावली में मौजूद साक्ष्य का परिशीलन कर माननीय न्यायालय ने अभियुक्त की जमानत प्रार्थना पत्र खारिज कर दी।