वाह क्या कहने लियाकत भाई के….
देहरादून। दून के लियाकत अली उर्फ लियाकत भाई वो कर रहे हैं जो कि धर्म के नाम पर समाज को बांटने वालों को आयना दिखाने के लिए काफी है। जी हां लियाकत भाई ने रमजान के पवित्र माह में सुंदरकांड का पाठ कर धार्मिक उन्माद को हवा देने वाले लोगों को आईना दिखाया है। लियाकत अली एक गायक कलाकार हैं और इस दौर में जहां साम्प्रदायिक सद्भाव लगातार कमजोर होता जा रहा है। लियाकत जैसे लोग कोमी एकता के लिए मिसाल बने हुए हैं। पांच वक्त के नमाजी लियाकत निरंकारी मिशन से पूरी आस्था व विश्वास के साथ जुड़े हुए हैं।
दून की रंगकर्मी सुरमई पारछा ने रंगकर्मी कलाकार लियाकत के लिए एक भावुक पोस्ट लिखी है। वह लिखती हैं कि ये हमारे लियाकत भाई, बहुत बेहतरीन अभिनेता, गायक और उसके साथ-साथ बहुत अच्छे और विशाल ह्दय वाले इंसान हैं। वैसे तो इनके कार्यक्रम निरंतर चलते रहते हैं। जैसे सामाजिक, ज्वलनशील मुद्दों पर नाटक, नुक्कड्ड नाटक, मातारानी का जागरण, माता की चौकी…और रमजान के दिनों में इनके द्वारा रायपुर में भागवत कथा में सुंदरकांड का पाठ किया जाना कौमी एकता की मिसाल है…और यही है हमारा असल हिन्दुस्तान। लियाकत अली दून के चुक्खुमौहल्ले के इंदिराकॉलोनी में रहते हैं। मूलरुप से वह यूपी के बहराइच के हैं। पिता मोहम्मद वासिम अली यूपी के किसान हैं। मां नाजनीन उनके साथ दून में रहती हैं। लियाकत यहां अपनी बेगम विश्मा, सातवीं में पढ़ने वाले बेटे साहिल खान व तीसरी में पढ़ रहे छोटे बेटे टीपू सुल्तान के साथ रहते हैं। दोनों बच्चे सेंट ज्यूड्स में हैं। अपने परिवार के भरण पोषण के लिए वह प्रयास जागरुकता मंच के माध्यम से सांस्कृतिक, लाइट म्यूजिक, गजल, नाटक करते रहते हैं। वह अच्छी गढ़वाली बोल लेते हैं। साथ ही भोजपुरी, पंजाबी, गोरखाली भाषा के कार्यक्रम भी करते हैं। लियाकत बताते हैं कि वह हर तरह के कार्यक्रम करते हैं। पहले भी वह कई बार धार्मिक कथा, आयोजनों में कार्यक्रम कर चुके हैं।