
देहरादून। सुप्रीम कोर्ट ने आवारा कुत्तों से संबंधित मामलों में राज्यों के लचर रवैये पर कड़ी नाराजगी जताते हुए सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को व्यक्तिगत रूप से पेश होने का आदेश दिया है। अदालत ने निर्देश दिया है कि तीन नवंबर को सभी मुख्य सचिव सुप्रीम कोर्ट में उपस्थित होकर जवाब दें।
इसी क्रम में उत्तराखंड में शहरी विकास विभाग ने आवारा कुत्तों के प्रबंधन को लेकर दिशा-निर्देश तैयार कर लिए हैं। विभाग के अनुसार, अब प्रत्येक नगर निकाय को अपने वार्डों में कुत्तों को भोजन कराने के लिए निश्चित स्थान तय करने होंगे। सड़कों पर कुत्तों को खाना खिलाने वालों के विरुद्ध कानूनी कार्रवाई की जाएगी। शासन की ओर से इस नीति से संबंधित हलफनामा सुप्रीम कोर्ट में प्रस्तुत किया जाएगा।
शहरी विकास निदेशक विनोद गिरि गोस्वामी ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुपालन में राज्य के सभी नगर निकायों को आवश्यक गाइडलाइन जारी की जा चुकी है। निर्देशों के अनुसार, पकड़े गए कुत्तों की नसबंदी और टीकाकरण के बाद उन्हें उसी क्षेत्र में छोड़ा जाएगा। वहीं, आक्रामक या रेबीज से संक्रमित कुत्तों को स्थायी रूप से शेल्टर होम में रखा जाएगा।
इसके साथ ही नगर निकायों को हेल्पलाइन नंबर जारी करने और नागरिकों को इसकी जानकारी देने के भी निर्देश दिए गए हैं। विभाग ने यह भी व्यवस्था की है कि पशु प्रेमी इच्छुक व्यक्ति नगर निकायों के माध्यम से आवारा कुत्तों को गोद ले सकते हैं।
शहरी विकास विभाग ने सभी नगर निकायों से उनके पास उपलब्ध ढांचागत संसाधनों का ब्यौरा मांगा है, जिसमें डॉग शेल्टर की संख्या, पशु चिकित्सक, कुत्ता पकड़ने वाले प्रशिक्षित कर्मचारी, वाहन और पिंजरों की जानकारी शामिल है। विभाग का कहना है कि इन सूचनाओं के आधार पर आगे की कार्ययोजना तैयार की जाएगी ताकि आवारा कुत्तों की समस्या का स्थायी समाधान सुनिश्चित किया जा सके।





