उत्तराखंड में मांगल और खुदेड़ गीतों का होगा संरक्षण

रुद्रप्रयाग। उत्तराखंड के मांगल और खुदेड़ गीतों के संरक्षण की दिशा में पहली बार अभिनव पहल शुरू की गई है। इसे मेले के रूप में आयोजित करने की मुहिम की चहुंतरफा प्रशंसा की जा रही है। केदारनाथ विधायक मनोज रावत की पहल पर मांगल गीतों की एक गायन प्रतियोगिता का आयोजन किया जा रहा है, जिसका शुभारंभ आज 24 दिसम्बर से शुरू होगा। शुक्रवार को मनसूना, ऊखीमठ, भणज, दुर्गाधार, कालीमठ, तुलंगा, बसुकेदार में मांगल गीतों का आयोजन किया जाएगा। जबकि 25 दिसम्बर को नारी, गुप्तकाशी,जगोठ, चंद्रापुरी,दशज्युला कांडई और जामू में मांगल और खुदेड गीतों का आयोजन किया जाएगा। 26 दिसम्बर को फलासी, परकंडी, सिल्ला,बामणगांव में मांगल गीतों का आयोजन किया जाएगा। केदारनाथ विधायक मनोज रावत ने कहा कि रुद्रप्रयाग की केदारघाटी में मांगल और खुदेड़ गीतों की पौराणिक परंपरा रही है जिसे धीरे धीरे भूलते जा रहे है। उनकी कोशिश है ये समृद्ध परंपरा फिर से जीवित हो। मांगल मेले के आयोजन में हर गांव से एक महिला मंगल दल प्रतिभाग करेगी। ग्रुप में 7 से अधिक महिलाएं नहीं होंगी। खुदेड गीत में एक महिला प्रतिभाग करेंगी। मांगल गीतों के लिए प्रथम पुरस्कार 3500, द्वितीय 2500 और तृतीय 1500 दिया जाएगा। जबकि खुदेड़ गीत के लिए प्रथम पुरस्कार 1500 द्वितीय 1000 और तृतीय 500 की धनराशि दी जाएगी। केदारनाथ विधायक मनोज रावत ने कहा कि केदारघाटी में मांगल, खुदेड़, घसियारी और बाजूबंद गीत पहले काफी प्रचलित थे, किंतु पिछले कई सालों से अब इन गीतों का प्रचलन कम हो गया।अब मांगल मेले के द्वारा फिर से इस परंपरा को जीवित करने की कोशिश की जा रही है। प्रथम चरण में गांवों से टीमों का चयन किया जा रहा है उसके बाद चंद्रापुरी में पूरे विधानसभा की मांगल टीमों की प्रतियोगिता आयोजित की जाएगी। हमने पिछले साल भणज गांव में मांगल गीतों आयोजन किया गया था जिसमे कई महिलाओं ने प्रतिभाग किया। इस आयोजन के बाद मांगल गीतों के संरक्षण और संवर्धन में मदद मिलेगी।