
देहरादून(आरएनएस)। उपनल कर्मचारी महासंघ ने सरकार पर नियमितिकरण में जानबूझकर देरी करने का आरोप लगाया है। महासंघ ने शनिवार को प्रेस क्लब में पत्रकार वार्ता कर कहा कि जब तक कोर्ट के आदेश के अनुसार उपनल कर्मचारियों का नियमितिकरण नहीं हो जाता, तब तक नई नियुक्तियों नहीं की जानी चाहिए। साथ ही उपनल कर्मचारियों के पदों को फ्रिज किया जाना चाहिए। प्रेस वार्ता में महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष विनोद गोदियाल ने कहा कि पिछले साल हाईकोर्ट ने उपनल कर्मचारियों को नियमित करने के आदेश दिए थे। 15 अक्तूबर को इस आदेश को एक साल पूरे हो जाएंगे, जिस पर सरकार अमल नहीं कर सकी है।
इसलिए 22 हजार उपनल कर्मचारी 15 अक्तूबर को कैंडल मार्च निकालेंगे। साथ ही राज्य स्थापना दिवस तक नियमितकरण की प्रक्रिया शुरू नहीं की जाती है तो 10 नवंबर से बेमियादी हड़ताल शुरू कर देंगे। न्यायालय में उपनल कर्मचारियों की लड़ाई लड़ रहे वरिष्ठ अधिवक्ता एमसी पंत ने कहा कि कोर्ट की अवमानना से बचने के लिए नियमितिकरण के लिए न सिर्फ एक नई कमेटी बना दी जा रही है, बल्कि हर विभाग की अलग-अलग पुनर्विचार याचिका दाखिल कर सरकारी बजट खपाया जा रहा है। महासंघ प्रदेश महामंत्री विनय प्रसाद ने कहा कि कोर्ट के आदेशों और मुख्यमंत्री की घोषणा के बावजूद उद्योग, ईएसआई, दून मेडिकल कॉलेज समेत कई विभागों में उपनल कर्मचारियों को बेवजह हटाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि जब तक उपनल कर्मचारी नियमित नहीं हो जाते, तब तक उनके पद फ्रिज कर दिए जाने चाहिए और इन पदों पर नई नियुक्तियां नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि कई विभागों में उपनल कर्मचारियों को हटाकर आउटसोर्स एजेंसी से नए कर्मचारी भी भर्ती किए जा रहे हैं, जो गलत है। पत्रकार वार्ता में प्रदेश मीडिया प्रभारी प्रदीप चौहान विजय शर्मा, मीना रौथाण, पीएम बोरा, महेश भट्ट, मोहन रावत समेत अन्य मौजूद रहे। घोषणा पर कर चुके सम्मान पर नहीं हुआ अमल उपनल महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष विनोद गोयल ने कहा कि मुख्यमंत्री ने नियमितीकरण के लिए ठोस नीति बनाने की घोषणा की थी। इस पर महासंघ ने 12 अप्रैल 2025 को भव्य सम्मान समारोह भी आयोजित किया था, लेकिन आज तक घोषणा पर अमल नहीं हो पाया।