उद्योग ने बिना नोटिस के हिमाचली कामगारों को दिखाया बाहर का रास्ता

 6 गैर हिमाचली कामगारों को वापस रखा

आरएनएस सोलन (बद्दी) :
औद्योगिक क्षेत्र बद्दी के तहत वर्धमान स्थित हैवेल्स कंपनी ने बिना नोटिस के 28 कामगारों को बाहर का रास्ता दिखा दिया है। जिसमें अधिकतर हिमाचली है।  इस उद्योग में हिमाचल क्षेत्र के स्थानीय युवाओं को रोजगार मिला हुआ है व न तो श्रम विभाग व न ही कोई राजनीतिक दल इनकी मदद के लिए आगे रहा है। उद्योग से बाहर निकाले कामगारों अमर चंद वर्मा, मंजीत कुमार, कुलदीप गिरी, चमन लाल, रूप लाल, मदन लाल, अनूप दुबे, सुशील कुमार, सुभाष कुमार, रामेश्वर सिंह, अशोक पाठक, सतिंदर पांडेय, प्रमोद कुमार, विमल कुमार, राकेश कुमार, संदीप, कृष्ण पासवान, दीपक,कुलदीप चंद, धर्मेंद्र, रशपाल, श्यामू  व अन्य कामगारों का कहना है कि यह सभी 28 कामगार जुपिटर सेक्युरिटी के जरिए हैवेल्स इंडिया लिमिटेड बद्दी में काम करते है। जब यह सभी 14 अक्टूबर की अपनी ड्यूटी पर गए तो इन्हें बिना किसी नोटिस व सूचना के उद्योग ने बाहर का रास्ता दिखा दिया। कामगारों ने कहा कि अब आधा महीना बीत जाने के बाद वह कहा से रोजगार प्राप्त करेंगे साथ ही त्योहारों के चलते घर का खर्चा कैसे करेंगे। सबसे बड़ी बात थी है कि इन 28 कामगारों में से 6 को कंपनी द्वारा दोबारा बुला लिया गया है जो कि गैर हिमाचली है। जब कि बाकी हिमाचली कामगारों की छुट्टी कर दी गई है। मजदूरों ने उद्योग पर गम्भीर आरोप लगाते हुए कहा कि की बद्दी स्थित वर्धमान में हैवेल्स इंडिया लिमिटेड में लगभग 4000 कर्मचारी काम करते है जिनमें मात्र 60-70 कर्मचारी ही हिमाचली है। बाकी सब गैर हिमाचली है। आखिर हिमाचलियों कामगारों से उद्योगों द्वारा ऐसा सलूक क्यों किया जा रहा है। जब कि एक तरफ तो सरकार राज्य में स्थापित उद्योगों में हिमाचली कामगारों को 70 फीसदी रोजगार देने की बात करती है दूसरी ओर आलम यह है कि इन उद्योगों में हिमाचली कामगारों की संख्या न के बराबर है।

उद्योगों में हो रहा है हिमाचलियों कामगारों का उत्पीड़न : बबलू पंडित

वही, हिमाचल इंटक प्रदेशाध्यक्ष बबलू पंडित के कहा कि ऐसी शिकायते कई उद्योगों में से आ रही है। जहा हिमाचल के लोगों को उद्योग से बाहर का रास्ता दिखा रहे है और गैर हिमाचलियों को अपना रहे है। उन्होंने प्रदेश सरकार व सीएम जयराम ठाकुर पर निशाना साधते हुए कहा कि एक तरफ तो सीएम अपने आप को एक मिस्त्री व मजदूर का बेटा बताते है। जबकि हिमाचल के उद्योगों में ही हिमाचल के लोगों के साथ उत्पीड़न किया जा रहा है। बाहर से आए उद्योगों का प्रदूषण हम सहते है, जमीनें हमारी बिकी और आनंद उद्योगपति ले रहे है। उन्होंने प्रेदेश सरकार से मांग की है कि हिमाचल कामगारों का उत्पीड़न को बंद हो, नही तो यह मामला एक उग्र आंदोलन  के रूप में सामने आएगा।