स्वास्थ्य विभाग ने भेजा उत्तराखंड के 13 अस्पतालों को नोटिस

देहरादून। उत्तराखंड में लंबे समय बाद कोविड-19 से पूर्व में हो चुकी 218 मौतों की सूचना बुधवार को दिए जाने से नाराज स्वास्थ्य विभाग ने प्रदेश के 13 सरकारी और निजी अस्पतालों को नोटिस जारी किया है। इनमें से कोविड-19 से मौतों के कई मामले तो जनवरी और फरवरी के भी हैं। कोविड-19 मामलों के लिए यहां बनाए गए राज्य नियंत्रण कक्ष से मिली जानकारी के अनुसार, अस्पतालों को ये नोटिस प्रदेश की स्वास्थ्य महानिदेशक तृप्ति बहुगुणा के निर्देश पर दिए गए हैं। इनके अलावा, संबंधित जिलों के मुख्य चिकित्सा अधिकारियों को भी नोटिस भेजे गए हैं। नोटिस भेजे जाने वाले अस्पतालों में नैनीताल का बाबा नीम करौली अस्पताल, अल्मोड़ा का बेस अस्पताल, लामगडा कोविड स्वास्थ्य केंद्र, स्टेट एलोपैथिक डिस्पेंसरी धौलचीना, कोटद्वार बेस अस्पताल, डीसीएचसी कोटेश्वर रूद्रप्रयाग, पिथौरागढ़ जिला अस्पताल, बागेश्वर जिला अस्पताल, राजकीय दून मेडिकल कालेज, पिथौरागढ़ में सैनिक अस्पताल, नैनीताल में साइ अस्पताल, हल्द्वानी में एसटीएचजी और हरिद्वार का विनय विशाल हेल्थकेयर अस्पताल शामिल हैं। ताजा बैकलॉग में सर्वाधिक 47 कोविड मौतें पिथौरागढ़ जिला अस्पताल की है, जबकि 36 अल्मोड़ा के बेस अस्पताल और 32 कोटद्वार बेस अस्पताल की हैं। बुधवार को दी गयी जानकारी में अल्मोड़ा बेस अस्पताल में कुछ कोविड-19 मौतें 21 जनवरी से 21 फरवरी के बीच होना भी बताया गया है। हरिद्वार के एक निजी अस्पताल द्वारा भी अपने यहां हुई 65 कोविड-19 मौतों की जानकारी करीब एक पखवाड़े देर से मई में दी गई थी और तब प्रदेश के स्वास्थ्य सचिव अमित नेगी ने सभी अस्पतालों को सख्त लहजे में पत्र लिखते हुए आंकड़ों को नियमित रूप से राज्य नियंत्रण कक्ष को उपलब्ध कराने या कार्रवाई का सामना करने की चेतावनी दी थी। इस बारे में देहरादून स्थित सामाजिक कार्यकर्ता अनूप नौटियाल ने कहा, हमारे अस्पतालों और अधिकारियों द्वारा दिखाए जा रही बेरूखी से मैं बहुत निराश हूं। इसकी कड़े शब्दों में निंदा की जानी चाहिए। अपने संगठन सोशल डेवलपमेंट फॉर कम्यूनिटीज फाउंडेशन द्वारा इस संबंध में इकट्ठा किए गए आंकड़ों का हवाला देते हुए नौटियाल ने कहा, ”बुधवार को दर्ज हुई कोविड की बैकलॉग मौतों को मिलाकर उत्तराखंड में अब तक 47 विभिन्न दिनों में दर्ज हुई ऐसी मौतों की संख्या 1210 हो गई है। राज्य के सभी 13 जिलों ने बैकलॉग मौतें रिपोर्ट की हैं। यह बहुत चिंताजनक है कि 30 जून को दर्ज हुई 218 मौतों में से 88 प्रतिशत पहाड़ी जिलों से हैं।


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