श्रीलंका में घुसने की फिराक में था चीनी जहाज, भारत ने लगवाई रोक

नई दिल्ली (आरएनएस)। श्रीलंका की सरकार ने चीनी सरकार से कहा कि वह हंबनटोटा बंदरगाह पर अपने स्पेस सैटेलाइट ट्रैकर शिप युआन वांग 5 की यात्रा को तब तक के लिए टाल दे, जब तक कि दोनों सरकारों के बीच कोई सलाह-मशविरा न हो जाए। जासूसी जहाज के लिए 11 अगस्त को चीनी लीज पर हंबनटोटा बंदरगाह पर ईंधन भरने और 17 अगस्त को वहां से निकलने की योजना तय की गई थी। हालांकि भारत ने इस जासूसी जहाज को लेकर चिंता जताई थी।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, रिसर्च स्ट्रोक सर्वे पोत के रूप में नामित, युआन वांग 5 को 2007 में तैयार किया गया था और इसकी क्षमता करीब 11,000 टन है। सर्वे पोत 13 जुलाई को चीन के जियानगिन शहर से रवाना हुआ और वर्तमान में ताइवान के करीब है, जहां चीन अमेरिकी प्रतिनिधि सभा की स्पीकर नैंसी पेलोसी के स्व-शासित द्वीप का दौरा करने की अनुमति देने के लिए ताइपे के खिलाफ आक्रामक मुद्रा के रूप में लाइव-फायर अभ्यास में जुटा हुआ है।
मरीन ट्रैफिक वेबसाइट के मुताबिक, यह जहाज फिलहाल दक्षिण जापान और ताइवान के उत्तर पूर्व के बीच पूर्वी चीन सागर में है।
कोलंबो में स्थित राजनयिकों के अनुसार, श्रीलंकाई विदेश मंत्रालय ने पिछले महीने 12 जुलाई को मंत्रालय की ओर से चीन के दूतावास को एक संदेश भेजा, जिसमें शिप युआन वांग 5 को पुन: पूर्ति उद्देश्यों के लिए हंबनटोटा के बंदरगाह में एंट्री करने की मंजूरी दी गई थी।
हालांकि भारत ने हंबनटोटा में चीनी पोत के आने को लेकर अपनी सुरक्षा चिंता जाहिर की थी। यह रिसर्च सर्वे पोत समुद्र के तल का नक्शा बना सकता है जो चीनी नौसेना के पनडुब्बी रोधी अभियानों के लिए बेहद अहम है।
माना जा रहा है कि श्रीलंका में चीनी राजदूत ने श्रीलंकाई सरकार के साथ अपनी बात रखी और कहा कि पोत को अनुमति देने से इनकार करने से द्विपक्षीय संबंधों पर असर पड़ेगा।
जबकि रानिल विक्रमसिंघे सरकार के कैबिनेट प्रवक्ता ने पिछले दिनों 2 अगस्त को ऐलान किया की कि जहाज को ईंधन भरने की अनुमति दी जा रही है, भारतीय नौसेना ने भी कोलंबो को अपनी गंभीर सुरक्षा चिंताओं से अवगत कराया। भारत संकट के समय श्रीलंका के साथ कंधे से कंधा मिलाकर इस द्वीपीय देश के सामने मौजूद वर्तमान आर्थिक संकट से निपटने के लिए खड़ा है और लगातार मदद कर रहा है। भारत ने पेट्रोल, डीजल, प्राकृतिक गैस, खाद्य पदार्थों और दवाओं के रूप में 3.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक की मदद की है।
हालांकि अब 5 अगस्त को, श्रीलंका के विदेश मंत्रालय ने जासूसी जहाज को हंबनटोटा बंदरगाह पर रूकने की अनुमति देने को फैसले को स्थगित कर दिया और उचित राजनयिक चैनलों के जरिए चीनी विदेश मंत्रालय के समकक्षों को लिखित रूप से इस फैसले से अवगत करा दिया।
श्रीलंका के जासूसी जहाज की यात्रा स्थगित किए जाने के फैसले से यह बात साफ हो गई है कि चीन के दमखम और दबाव के बावजूद वह अपने पड़ोसी भारत की सुरक्षा चिंता का सम्मान करता है। श्रीलंका पर चीन का 10 प्रतिशत से अधिक विदेशी ऋण बकाया है, बीजिंग को 2017 में कोलंबो की ओर से हंबनटोटा बंदरगाह 99 साल के लिए लीज पर मिला हुआ है।