कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों ने किया नैदानिक दौरा

सोलन। कंडाघाट स्थित कृषि विज्ञान केंद्र सोलन के वैज्ञानिक दल ने विगत सप्ताह सोलन एवं कंडाघाट खण्डों के विभिन्न गाँवों का नैदानिक दौरा किया। वैज्ञानिकों के इस दल ने डॉ जितेंदर चौहान की अगुवाई में करोल पहाड़ी पर स्थित गाँवों का दौरा किया। डॉ आरती शुक्ला एवं डॉ अनुराग शर्मा ने किसानों को टमाटर में लगने वाले रोगों एवं कीटों के निदान के उपाय सुझाए तथा किसानों के खेतों का निरीक्षण भी किया।

इस वैज्ञानिक दल ने जदारी, पलहेच एवं सलुमणा गाँवों का दौरा भी किया जहां किसानों ने इस वर्ष सेब के नए बगीचे लगाए हैं। जदारी गाँव के किसान प्रदीप, पलहेच गाँव के सुरेश कुमार एवं सलुमणा के परमानंद शर्मा के आग्रह पर केंद्र के प्रभारी डॉ जितेंदर चौहान ने इन सभी बागवानों के बगीचों में जाकर समर प्रूनिंग के गुर सिखाए।

 वैज्ञानिकों ने खेतों के निरीक्षण के दौरान कुछ स्थानों पर शिमला मिर्च में पता झुलसा, जीवाणु धब्बा तथा मुरझान रोग व टमाटर की फसल में बॅक आई फल सड़न (काली टिक्की) जीवाणु धब्बा, फल छेदक कीट एवं सफ़ेद मक्खी रोग से ग्रसित पाया।वैज्ञानिकों ने किसानों को इन रोगों व कीटों के नियंत्रण के उपाय सुझाए।

इसके अतिरिक्त अनार एवं कीवी फल से संबधित समस्याओं का भी निवारण किया गया। केंद्र के वैज्ञानिक ने धारों की धार गाँव का दौरा किया जहां के अधिकतर किसान अब सेब की खेती से जुड़े हैं। यहाँ के प्रगतिशील किसान करण सिंह ठाकुर ने बताया की क्षेत्र के बागवानों को रूट बोरर एवं जड़ सड़न की समस्या आ रही है जिसके मद्देनजर वैज्ञानिकों ने यहाँ सेब के कीट एवं रोग नियंत्रण विषय पर एक प्रशिक्षण शिविर आयोजित किया व किसानों को इन समस्याओं से निजात पाने के तरीके बताए। रूट बोरर के नियंत्रण के लिए दवा के अतिरिक्त सौर ट्रैप तथा मैटाराइजियम एनीसोल्पी नामक फुफंद के इस्तेमाल की सलाह दी।

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