रिश्वतखोर जिला उद्योग केन्द्र प्रबंधक को 5 साल की सजा और 25 हजार जुर्माना
देहरादून। रिश्वत लेने वाले जिला उद्योग केंद्र प्रबंध को विजिलेंस कोर्ट ने 5 साल की सजा सुनाई है और साथ ही 25000 का जुर्माना भी लगाया है।
बता दें कि 15 अक्टूबर 2012 को महेश गुप्ता ने एक शिकायती पत्र विजलेंस को दिया। जिसमें उन्होंने बताया कि शिवपुरी क्षेत्रान्तर्गत टिहरी गढ़वाल में स्थापित किये गये रिसोर्ट की स्वीकृति केन्द्रीय सब्सिडी के भुगतान कराये जाने के एवज में जिला उद्योग केन्द्र टिहरी में प्रबन्धक पद पर तैनात कर्ण सिंह हलधर 4 लाख 25 हजार की रिश्वत मांग रहे हैं। जिसमें से एक लाख रूपये लेकर उन्हें 16 अक्टूबर 2012 को अपने कार्यालय में बुलाया।
विजिलेंस जांच में आरोप सही पाये जाने पर ट्रैप टीम का गठन किया। टीम ने कार्यवाही करते हुये 16 अक्टूबर 2012 को आरोपी कर्ण सिंह हलधर को जिला उद्योग केन्द्र ढालवाला के पास 1 लाख रुपये की रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार कर किया। कर्ण सिंह के विरुद्ध धारा 7/13 (1डी- सपठित धारा 13 (2) भ्र-नि-अधि- 1988) में मुकदमा दर्ज किया गया। जिसकी विवेचना तत्कालीन निरीक्षक आरसी कोटनाला ने की जिन्होंने अभिलेख साक्ष्य, भौतिक व वैज्ञानिक साक्ष्यों के आधार पर शासन से मुकदमा स्वीकृति प्राप्त करने के बाद आरोपी कर्ण सिंह हलधर के विरूद्ध आरोप पत्र न्यायालय में दाखिल किया।
अभियोजन अधिकारी अनुज साहनी एवं पैरोकार प्रधान आरक्षी सुरेन्द्र सिंह ने न्यायालय में प्रभावी पैरवी करने के बाद दोषी कर्ण सिंह हलधर को सोमवार को विशेष न्यायाधीश सतर्कता अधिष्ठान ने दोषी पाते हुए धारा 7 भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 में पाँच साल की सजा व 25 हजार रुपये जुर्माना तथा धारा 13 (2) भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 में पाच वर्ष की सजा व 25 हजार जुर्माने की सजा सुनाई। दोनों सजाएं साथ-साथ चलेंगी।