राजगढ़ शहर को आजादी के सात दशकों बाद भी नहीं मिल पाया अग्निशमन केंद्र
आरएनएस राजगढ़। आजादी के लगभग 7 दशकों के बाद भी उप मंडल मुख्यालय राजगढ़ में अग्निशमन केंद्र नहीं खुल पाया है। यहां क्षेत्र के लोग दशकों से अग्निशमन केंद्र खोलने की मांग कर रहे है, मगर यहां सरकार द्वारा इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। यहाँ इस समय 30 पंचायतें और एक नगर पंचायत है, मगर हजाओं की आबादी वाले इस क्षेत्र में आगजनी की घटना होने पर लोगों की सुरक्षा राम भरोसे है। अगर भौगोलिक दृष्टि से देखा जाए तो यह क्षेत्र काफी बड़ा है और कई किलोमीटर तक फैला है। क्षेत्र की सीमा एक और चौपाल उपमंडल के साथ धारटूखाडी व नेरीपूल मे उपमंडल ठियोग के साथ जघेड में उप मंडल कुसुपंटी के साथ तथा गिरीपूल में उपमंडल कंडाघाट के साथ तथा छोगटाली में रेणुका उपमंडल के साथ लगती है। उपमंडल मुख्यालय राजगढ़ से जो सबसे नजदीकी अग्निशमन केंद्र पड़ता है, वह लगभग 40 किमी दूर सोलन है। राजगढ़ उपमंडल के बाकि स्थानों से सोलन की दूरी 50 से 100 किमी तक है। अगर ऐसे में कहीं आगजनी की घटना हो जाए तो सोलन से फायर ब्रिगेड की गाड़ी को पहुंचने के लिए 2 से 4 घंटे का समय लग जाता है। सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि इतनी देर में आगजनी की घटना में कुछ भी नहीं बच सकता। इसके अतिरिक्त क्षेत्र में चीड़ के जंगलो की संख्या भी काफी अधिक है। यह चीड़ के जंगल क्षेत्र के लिए बारूद के ढेर साबित हो रहे है। गर्मियो के दिनों में यहां इन जंगलो में अचानक आग भड़क जाती है और जंगलो के साथ लगते बगीचो फसल से लहलहाते खेतो तथा कई बार तो गौ शालाओ व घरो तक को अपनी चपेट में ले लेते है, इतना ही नही जंगलो में भी यह आग करोड़ो रूपये की वन संपदा के साथ-साथ वन्य जीवो को भी खत्म कर देती है। ऐसे में अगर राजगढ़ उपमंडल मुख्यालय में अग्निशमन केंद्र खुल जाए तो आगजनी से होने वाले नुकसान को काफी हद तक कम किया जा सकता है।
स्थानीय विधायक रीना कश्यप के अनुसार लोगों की यह मांग उनके ध्यान में है और इसे पुरजोर तरीके से सरकार के समक्ष उठाया जा रहा है और जल्द ही इस मांग के पूरे होने की संभावना है।