सबूत मिटाना, ड्राइवर को फंसाना; पुणे के रईसजादे को बचाने को हुईं ये कोशिशें

पुणे(आरएनएस)। पुणे के कल्याणीनगर में एक युवक और युवती की मौत हो गई। वजह बनी सड़क हादसा और इस हादसे का कारण पोर्शे की तेज रफ्तार स्पोर्ट्स कार थी। मामला तब दिलचस्प हुआ, जब खुलासा हुआ कि कार एक नाबालिग चला रहा था, जो शायद नशे में था। इतना ही नहीं, उसे कुछ घंटों के भीतर ही जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड यानी जेजेबी  की तरफ से जमानत मिल गई। जमानत की शर्तें हादसे पर निबंध लिखना, शराब छोड़ने के लिए डॉक्टर से संपर्क जैसी थीं।
हादसे में मध्य प्रदेश के रहने वाले अनीस अवधिया और अश्विनी कोष्टा की मौत हो गई थी। दोनों की उम्र 24 साल के आसपास थी और घटना के समय दुपहिया वाहन से जा रहे थे। पीड़ित परिवार ने इसे हादसा नहीं हत्या करार दिया था।

ड्राइवर पर डाला दवाब?
दो मौतों के कुछ घंटों के भीतर ही जमानत मिलने की चर्चाओं के बीच खबरें आने लगी कि दावा किया जा रहा है कि घटना के समय वाहन ड्राइवर चला रहा था। हालांकि, पुलिस इससे इनकार करती नजर आई। आरोप हैं कि नाबालिग आरोपी के दादा सुरेंद्र अग्रवाल को ड्राइवर को बंधक बनाने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। खबरें ये भी थीं कि आरोपी की मां ने भी ड्राइवर से आरोप खुद पर लेने का अनुरोध किया था। पुलिस ने भी कहा था कि ड्राइवर को फंसाने की कोशिश की जा रही है।
ड्राइवर ने भी बयान दे दिया था कि गाड़ी वो चला रहा था। इधर, पुलिस का कहना था कि इसके बाद आरोपी के पिता विशाल अग्रवाल और दादा उसे कार में अपने घर ले गए, उसका फोन ले लिया और वहां रख लिया। पुलिस ने कहा था, ‘उसपर उनके निर्देशों के हिसाब से पुलिस को बयान देने का दबाव था।’ साथ ही ड्राइवर को धमकाने की बात भी सामने आई थी। हालांकि, पुलिस ने बताया कि ड्राइवर की शिकायत पर आरोपी के पिता और दादा के खिलाफ केस दर्ज हुआ और उसने बयान दिया कि घटना के वक्त गाड़ी वह नहीं चला रहा था।

डॉक्टरों ने बदले सैंपल
सोमवार को ही पुलिस ने ससून जनरल अस्पताल के एक डॉक्टर और फॉरेंसिक विभाग के प्रमुख को गिरफ्तार किया है। पुलिस का कहना है कि डॉक्टरों ने सैंपल बदल दिए थे और आरोपी के ब्लड के सैंपल कचरे में फेंक दिए थे। पुलिस ने कहा, … हमें कल फॉरेंसिक रिपोर्ट मिली है और यह खुलासा हुआ है कि ससून हॉस्पिटल में कलेक्ट किए गए सैंपल, जिनपर डॉक्टरों ने नाबालिग आरोपी का नाम लिखा था, वह नाबालिग आरोपी के नहीं थे।’
इसके बाद जांचकर्ताओं को संदेह हुआ कि सरकारी अस्पताल में डॉक्टरों ने नाबालिग आरोपी को बचाने के लिए सबूतों के साथ छेड़छाड़ की है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, पुणे पुलिस आयुक्त अमितेश कुमार ने प्रेस वार्ता में कहा, ‘नाबालिग का ब्लड सैंपल लेने वाले डॉक्टर श्रीहरि हलनोर को बीती रात गिरफ्तार कर लिया गया है। पूछताछ के दौरान उसने बताया है कि उसने फॉरेंसिक्स के एचओडी डॉक्टर अजय तावरे के निर्देशों पर ब्लड सैंपल बदल दिए थे।’ उन्होंने बताया कि डॉक्टरों की गिरफ्तारी के बाद इस मामले में आपराधिक साजिश, जालसाजी और सबूत तबाह करने के आरोप भी शामिल हो गए हैं।

पुलिस पर भी गिरी गाज
पोर्शे कांड के शुरुआती दौर में लापरवाही को लेकर पुणे पुलिस ने दो अधिकारियों पर भी कार्रवाई की थी। इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा था, ‘एक पुलिस इंस्पेक्टर और असिस्टेंट पुलिस इंस्पेक्टर को जांच लंबित रहने तक निलंबित कर दिया है।’ अखबार के अनुसार, अधिकारी ने बताया कि पुलिस इंस्पेक्टर राहुल जगदाले और असिस्टेंट पुलिस इंस्पेक्टर विश्वनाथ टोडकारी ने जांच में लापरवाही बरती थी और समय पर घटना के बारे में वायरलैस को बताने में फेल रहे थे। पहले इस मामले की जांच येरवाड़ा पुलिस कर रही थी। जबकि, बाद में इसे क्राइम ब्रांच को सौंपा गया।

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