
अल्मोड़ा। आठवां राष्ट्रीय पोषण माह का समापन आंगनबाड़ी केंद्र बसौली में रंगारंग कार्यक्रमों के साथ किया गया। इस अवसर पर गर्भवती और धात्री महिलाओं को कुपोषण के कारण, उसके प्रभाव और बचाव के तरीकों की जानकारी दी गई। कार्यक्रम में पोषण पर आधारित नाटक और गीत भी प्रस्तुत किए गए, जिनका सभी ने उत्साहपूर्वक आनंद लिया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि लोक प्रबंध विकास संस्था के संचालक ईश्वर जोशी ने उत्तराखंड में पिछले पांच वर्षों में अति कुपोषित बच्चों की संख्या में हुई वृद्धि पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि खाद्यान्न उत्पादन में आत्मनिर्भर पहाड़ों में कृषि और पशुपालन का घटता रुझान चिंताजनक है, जबकि फास्ट फूड का प्रचलन तेजी से बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि पोषण संबंधी जानकारी को जन-जन तक पहुंचाना और इसे व्यवहार में लाना अत्यंत आवश्यक है। बाल विकास परियोजना अधिकारी ताकुला डॉक्टर दिनेश चंद्र पांडे ने कुपोषण के कारणों और बचाव के उपायों पर विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने कहा कि केवल जानकारी पर्याप्त नहीं है, बल्कि इसे दैनिक जीवन में अपनाने की जरूरत है। एसआरएलएम के अरुण सिंह ने समाज में व्याप्त लैंगिक भेदभाव को दूर करने पर बल दिया। आईसीडीएस सुपरवाइजर गीता बिष्ट ने मोटे अनाजों की पौष्टिकता के बारे में बताया। दीप्ति भोजक ने माहवारी, गर्भावस्था और प्रसव के बाद महिलाओं के खान-पान से जुड़ी कुरीतियों को दूर करने के लिए महिलाओं को जागरूक होने का आह्वान किया। आंगनबाड़ी कार्यकर्ती मुन्नी देवी और उनकी टीम ने पोषण से संबंधित गीत और नाटक प्रस्तुत कर उपस्थित लोगों को जागरूक किया। कार्यक्रम में गणेश लाल, पुष्पा भाकुनी, जानकी आर्य, सुशीला नयाल, भावना बिष्ट, लक्ष्मी भोज, लीला भाकुनी, चंपा आर्य, मंजू जोशी, राधा जोशी, कमला सुयाल, आशा देवी, मंजू आर्य, भगवती बिष्ट, पूजा बोरा, हेमा तिवारी, दया आर्य और मीना बिष्ट सहित बड़ी संख्या में ग्रामीणों ने भाग लिया।





