पर्वतीय जिलों में चार टायर वाली मिनी बसों के संचालन का रास्ता साफ

देहरादून। राज्य के पर्वतीय जिलों और चारधाम रूट पर चार टायर वाली मिनी बसों के संचालन का रास्ता साफ हो गया। राज्य परिवहन प्राधिकरण (एसटीए) ने 16 व अधिक सीट वाली मिनी बसों के साथ जुडी छह टायर की अनिवार्य को समाप्त करने को मंजूरी दे दी। अब से इन बसों का रजिस्ट्रेशन भी किया जाएगा। दूसरी तरफ, यात्री और माल भाड़ा वाहनों का किराया संशोधन का प्रस्ताव फिलहाल टल गया है।
शनिवार को एसटीए की बैठक में यह निर्णय किया गया। इसके साथ ही ऑनलाइन बुकिंग पर टैक्सी, मैक्सी, ऑटो आदि परिवहन सेवाएं देने वाली कंपनियों के लिए लाइसेंस प्रक्रिया शुरू की जा रही है। बिना लाइसेंस वाहन संचालन करने पर अब परिवहन विभाग जुर्माना व अन्य दंडात्मक कार्रवाई कर सकेगा।
एसटीए अध्यक्ष परिवहन आयुक्त दीपेंद्र कुमार चौधरी की अध्यक्षता में आयेाजित एसटीएस बैठक में 12 विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की गई।

मिनी बस पर राज्य के लोगों पर था प्रतिबंध
मिनी बसों को लेकर राज्य में फिलहाल दोहरे मानक हैं। राज्य का कोई व्यक्ति 15 सीट से ज्यादा लेकिन चार टायर वाली मिनी बस को पर्वतीय जिलों और चारधाम रूट पर नहीं चला सकता है। राज्य में केवल छह पहिए वाली मिनी बस का रजिस्ट्रेशन होता है। जबकि दूसरे राज्यों से इसी श्रेणी मिनी बसों को राज्य में आवाजाही पर कोई रोक नहीं थी। गिरीश गुप्ता ने इस बाबत एसटीए में आवेदन दिया था। हालांकि टीजीएमओ ने इस प्रस्ताव का विरेाध किया था। टीजीएमओ का कहना है कि सिंगल टायर बस में कभी टायर के पंचर होने पर हादसे की प्रबल आशंका रहती है। इसलिए अनुमति नहीं देनी चाहिए।
चार टायर वाली मिनी बस को राष्ट्रीय स्तर पर अनुमति है। साथ ही अब इन बसों में सुरक्षा के पर्याप्त इंतजाम किए जा रहे हैं। इस बात पूर्व में गठित उच्च स्तरीय समिति भी संस्तुति कर चुकी है। सभी पहलुओं की समीक्षा करने के बाद ही अनुमति देने पर सहमति दी गई है।

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