पदोन्नति में शिथिलीकरण का समय बढ़ाए सरकार, संविदा कर्मचारियों के नियमितीकरण पर भी हो फैसला

देहरादून(आरएनएस)। उत्तराखंड में कर्मचारियों को पदोन्नति में शिथिलता का लाभ मिलने का समय 30 जून को समाप्त हो गया है। ये सुविधा भी कर्मचारियों को एक जनवरी 2024 से मिली थी। पूरे छह महीने चुनाव आचार संहिता में ही निकल गए। इस पर राज्य कर्मचारी अधिकारी निगम महासंघ ने सरकार से तत्काल इस सुविधा को बहाल किए जाने की मांग की।
महासंघ अध्यक्ष दिनेश गोसाईं ने कहा कि पदोन्नति के तय मानकों को पूरा न किए जाने के कारण निगमों में पदोन्नति के पद बड़ी संख्या में खाली पड़े हैं। कर्मचारियों को पूरे सेवा काल में पदोन्नति में शिथिलता की सुविधा सिर्फ एक ही बार मिलती रही। इस सुविधा को भी समाप्त कर दिया गया। कर्मचारी आंदोलनों के बाद इस सुविधा को जनवरी 2024 में शुरू किया गया, लेकिन इसे 30 जून 2024 को ही समाप्त कर दिया गया। ये पूरा समय लोकसभा चुनाव आचार संहिता में ही निकल गया। इसके कारण कर्मचारियों को पदोन्नति में शिथिलता का लाभ नहीं मिल पाया।

महासचिव बीएस रावत ने कहा कि विभागों में कर्मचारियों के पदोन्नति के पद बड़ी संख्या में खाली पड़े हैं। इन्हें भरने के लिए सरकार जल्द सुविधा बहाल करे। इसके साथ ही निगम कर्मचारियों को भी वो सभी लाभ सुनिश्चित किए जाएं, जो राज्य कर्मियों को उपलब्ध कराए जाते हैं। निगमों को हर बार आदेश कराने को अलग से दबाव बनाना पड़ता है। महंगाई भत्ते की लड़ाई हर बार नए सिरे से लड़नी पड़ती है। कहा कि वेतन विसंगति समिति की संस्तुतियां को जारी करते हुए ग्रेड वेतन 1900 रुपए को समाप्त कर 2000 रुपए का लाभ भी सुनिश्चित किया जाए।

संविदा कर्मचारियों के नियमितीकरण पर भी हो फैसला
महासंघ ने निगमों के संविदा कर्मचारियों को भी नियमित किए जाने को भी दबाव बनाया। महासचिव बीएस रावत ने कहा कि नियमितीकरण का लाभ न मिलने से कर्मचारी बिना नियमित हुए ही रिटायर हो रहे हैं। जबकि हाईकोर्ट भी संविदा कर्मचारियों को नियमित किए जाने के स्पष्ट आदेश जारी कर चुका है। इन आदेशों को तत्काल लागू किया जाए। नियमितीकरण के साथ ही जल संस्थान के पीटीसी, ठेका कर्मचारियों को श्रम मानकों के अनुसार न्यूनतम वेतन उपलब्ध कराया जाए।

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