
एनआइओएस के छात्र-छात्राएं परेशान हैं कि जून में परीक्षा होनी है और संस्थान की तरफ से पाठ्य पुस्तकें नहीं भेजी गई
देहरादून। केंद्र सरकार भले ही शिक्षा व्यवस्था को लेकर गंभीर हो, मगर हमारा सिस्टम अभी भी इस मोर्चे पर जागने के लिए तैयार नहीं है। हाल यह है कि परीक्षा सिर पर होने के बावजूद छात्र-छात्राओं को किताबें नहीं मिल पा रहीं। ताजा मामला राष्ट्रीय मुक्त शिक्षा संस्थान (एनआइओएस) से जुड़ा है। बीते वर्ष नवंबर-दिसंबर में संस्थान में दाखिला लेने वाले उत्तराखंड के 10वीं और 12वीं के सैकड़ों छात्र-छात्राओं को अब तक संस्थान की तरफ से पाठ्य पुस्तकें नहीं भेजी गई हैं। आगामी जून में इन छात्र-छात्राओं की परीक्षा होनी है। ऐसे में छात्र-छात्राएं परेशान हैं कि परीक्षा की तैयारी करें तो कैसे? किताबों की आस में वह लगातार परीक्षा केंद्र के चक्कर काट रहे हैं। उन्हें वहां यह जानकारी भी नहीं दी जा रही कि किताबें कब तक आएंगी और इस लेटलतीफी की वजह क्या है।
10वीं-12वीं में हर वर्ष उत्तराखंड से पांच हजार छात्र-छात्राएं लेते हैं दाखिला
एनआइओएस मुक्त एवं दूरस्थ माध्यम से शिक्षा प्रदान करता है। इसका मुख्य उद्देश्य ग्रामीण और पिछड़े वर्ग के बच्चों व युवाओं को शिक्षा प्रदान करना है। इसके अलावा यह अन्य बोर्ड परीक्षा में असफल छात्रों को ऑन डिमांड एग्जामिनेशन की सुविधा भी देता है। किसी कारणवश नियमित कक्षा लेने में असमर्थ हजारों छात्र-छात्राएं हर वर्ष 10वीं और 12वीं की परीक्षा उत्तीर्ण करने के लिए एनआइओएस में दाखिला लेते हैं। उत्तराखंड की बात करें तो यहां से हर वर्ष करीब पांच हजार छात्र-छात्राएं एनआइओएस के माध्यम से 10वीं व 12वीं की परीक्षा देते हैं। संस्थान इन कक्षाओं में वर्ष में तीन दफा दाखिला लेता है। हर बार दाखिला लेने वालों में 1500 से 2000 छात्र-छात्राएं उत्तराखंड के होते हैं। बीते वर्ष नवंबर-दिसंबर में भी इतनी ही संख्या में छात्र-छात्राओं ने एनआइओएस में दाखिला लिया था। इनमें से सैकड़ों छात्रों को अब तक किताबें उपलब्ध नहीं कराई गई हैं।
परेशानी की एक वजह यह भी
एनआइओएस का अपना अलग पाठ्यक्रम है। परीक्षा में प्रश्न भी इसी पाठ्यक्रम से पूछे जाते हैं। इस कारण छात्र अन्य बोर्ड की किताबों से पढ़ाई करने से हिचक रहे हैं। वजह यह है कि पाठ्यक्रम के बारे में ही मालूम नहीं तो पढ़ाई किस आधार पर की जाए। हालांकि, कुछ छात्र समय का सदुपयोग करते हुए अन्य बोर्ड की किताबों से तैयारी में जुटे हैं। हालांकि, यह कितना कारगर साबित होगा कुछ कहा नहीं जा सकता। एनआइओएस के मीडिया प्रभारी दिवाकर नेगी का कहना है कि एनआइओएस की किताबें हेडक्वार्टर से ही छात्रों के पते पर भेजी जाती हैं। कई दफा छात्र अपना पता गलत भर देते हैं। जिस कारण उन्हें किताबें नहीं मिल पातीं। हालांकि, कई दफा पोस्टमैन द्वारा संबंधित छात्र के घर पहुंचने पर किसी के न मिलने जैसे मामले भी सामने आए हैं। कोरोना के चलते भी समस्याएं बढ़ी हैं। जिन छात्रों को किताबें नहीं मिली हैं, वह संस्थान की ईमेल आइडी [email protected] पर भी शिकायत भेज सकते हैं।