नैनो टेक्नोलाॅजी उद्यमिता की क्षमताओं को बढ़ाने में मदद करेगी
आरएनएस
सोलन(बद्दी) : महाराजा अग्रसेन विश्वविद्यालय कालूझंडा के मैकेनिकल विभाग द्वारा नैनो टेक्नोलाॅजी स्मार्ट -साम्रगी, अनुसंधान, व्यावसायीकरण पर ई-टाॅक श्रृंखला के भाग-7 का आयोजन किया गया। इस भाग का मुख्य विषय वायु प्रदूषण नियंत्रण के लिए उन्नत कार्यात्मक नैनोमटेरियल्स था। इस आयोजन के लिए श्विक्रांत, सिविल और पर्यावरण इंजीनियरिंग विभाग, हनयांग विश्वविद्यालय कोरिया गणराज्य विशेष वक्ता के रूप में उपस्थित रहे।
इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो0 (डा0) आर. के. गुप्ता ने विभाग को इस आयोजन के लिए बधाई दी और नैनो टेक्नोलाॅजी पर अपना दृष्टिकोण साझा करते हुए इस आयोजन के महत्व पर प्रकाश डाला।
इस अवसर पर बोलते हुए प्रोजेक्ट इंजार्च सुरेश गुप्ता ने कहा कि नैनो टेक्नोलाॅजी उद्यमीता की क्षमताओं को बढाने में मदद करेगी। इसके साथ-साथ उन्होने सभी को कोरोना वायरस के खिलाफ आवयक सावधानी बरतने की सलाह दी तथा समाज को इस महामारी से बचाने के लिए आवयक कदम उठाने पर जोर दिया। सुरेश गुप्ता ने इस तरह की गतिविधियों को बढावा देने की आवयकता पर बल दिया और आयोजन टीम को बधाई दी।
विश्वविद्यालय के सहायक प्रोफेसर और ई-टाॅक श्रृंखला के आयोजन सचिव डा. सुनील अनिल बंसल ने इस कार्यक्रम से संबंधित जानकारी दी और पिछले भागो से प्राप्त सुझाव भी साझे किये और कार्यक्रम के आयोजन के लिए निरंतर प्रोत्साहन और समर्थन के लिए विश्वविद्यालय प्रंबंधन को धन्यवाद दिया।
ई-टाॅक श्रृंखला में बोलते हुए मुख्य वक्ता और विशेषज्ञ विक्रांत, सिविल और पर्यावरण इंजीनियरिंग विभाग, हनयांग विवविद्यालय कोरिया गणराज्य ने बताया कि बेलगाम ओद्यौगिक विस्तार और आधुनिकीकरण के कारण बाहरी और अंदरूनी वायु प्रदूषण में बेतहा वृद्धि हुई है। मानव स्वास्थ्य और प्राचीन पर्यावरण की सुरक्षा के लिए हाईट्रोजन सल्फाईड और अमोनिया के हानिकारक प्रभावो को नियंत्रित करने की आवयकता है। हाल के वर्षो में विभिन्न गैसीय प्रदूषकों को प्रभावी ढंग से हटाने के लिए उन्नत कार्यात्मक नैनोमैटेरियल को लागू करने पर जोर दिया जा रहा है जिसके परिणामस्वरूप वातावरण में अन्य विभिन्न तरह के वायु प्रदूषण फैल रहे है जिस पर अधिक शोध करने के आवयकता है ताकि हम अपने प्राकृतिक वातावरण को सुरक्षित रख सके। सत्र के बाद प्रध्यापक विराट खन्ना ने दर्शकों को द्वारा पूछे गये विभिन्न प्रनों पर विक्रांत के साथ संक्षिप्त चर्चा की। इस अवसर पर विभिन्न देशों के लगभग 116 प्रतिभागी उपस्थित रहे। सत्र को समापन डा. अपर्णा एन. महाजन, निदेािका, इंस्टीटयूट आफ टेक्नोलाॅजी द्वारा किया गया।