महिला कृषकों से वैज्ञानिकों का संवाद, पर्वतीय कृषि के लिए हल्के और अनुकूल यंत्रों की मांग

अल्मोड़ा(आरएनएस)।  विवेकानंद पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, अल्मोड़ा द्वारा संचालित ‘विकसित कृषि संकल्प अभियान’ के तहत सोमवार को संस्थान के निदेशक डॉ. लक्ष्मीकांत के नेतृत्व में वैज्ञानिकों की एक टीम ने विकासखंड ताड़ीखेत के मटीला, सूरी, गडस्यारी, बरशीला और पड़रयूला गांवों का दौरा कर 76 कृषकों से सीधा संवाद स्थापित किया। इस दौरान विशेष रूप से महिला कृषकों ने पर्वतीय कृषि में आने वाली समस्याएं साझा करते हुए यंत्रों की कमी को सबसे बड़ी बाधा बताया। महिलाओं ने स्पष्ट किया कि पहाड़ी इलाकों में खेती अब परंपरागत साधनों से संभव नहीं रह गई है। युवाओं के पलायन और पशुधन की घटती संख्या के चलते कृषि का कार्य कठिन और श्रमसाध्य हो गया है। उन्होंने ऐसे कृषि यंत्रों की आवश्यकता जताई जो छोटे परिवारों द्वारा आसानी से उपयोग किए जा सकें और जो खासकर महिला कृषकों के लिए उपयुक्त हों। इसके साथ ही जंगली जानवरों से फसलों की सुरक्षा, वैज्ञानिक जानकारी का समय पर प्रसार और क्षेत्रीय आवश्यकताओं के अनुरूप तकनीकों की उपलब्धता पर भी जोर दिया गया। कार्यक्रम में किसानों को खरीफ फसलों की उन्नत तकनीकों, बीज चयन, सिंचाई, कीट और रोग नियंत्रण जैसे विषयों पर जानकारी दी गई। इस अवसर पर संस्थान द्वारा विकसित गार्डन रेक का वितरण भी किया गया, जिसे महिला कृषकों ने जंगल की आग बुझाने में अत्यंत उपयोगी बताया। साथ ही लौह निर्मित हल ‘वीएल स्याही हल’ को भी सराहा गया, जिसके कारण वनक्षेत्रों में पेड़ों की कटाई में कमी आई है। महिलाओं ने सोलर तारबाड़ की व्यवस्था की मांग भी दोहराई। वहीं वैज्ञानिकों की दूसरी टीम ने ताड़ीखेत ब्लॉक के 11 गांवों में 172 कृषकों के साथ संवाद कर वैज्ञानिक पद्धतियों और सरकारी योजनाओं की जानकारी साझा की। किसानों ने जंगली जानवरों द्वारा फसलों को नुकसान पहुंचाने और जल संरक्षण की व्यवस्थाओं के अभाव को प्रमुख समस्याओं के रूप में सामने रखा।

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