महिला कल्याण कोष से अनुदान धनराशि पर विवाद
रुड़की(आरएनएस)। आंगनबाड़ियों से काटे जा रहे 100 रुपये महीने के कोष को लेकर विभाग व संगठन में सहमति नहीं हुई है। संगठन आंगनबाड़ी की सेवानिवृत्ति पर इसमें से दस लाख देने की मांग पर अड़ा है, जबकि विभाग सिर्फ 30000 देने पर राजी है। अब संगठन इसे लेकर कोर्ट जाने की तैयारी में है। हरिद्वार में 5800 आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिका हैं। जबकि प्रदेश में इनकी तादाद करीब 36 हजार है। मानदेय पर होने के कारण इन्हें सेवानिवृत्ति पर कोई अनुदान नहीं मिलता। इसे लेकर 2015 में विभाग व आंगनबाड़ी संगठन की सहमति से महिला कल्याण कोष बना था। इसमें हर कार्यकर्ता व सहायिका के मानदेय से प्रतिमाह 100 रुपये जमा होने थे, जबकि इतनी ही धनराशि सरकार को भी देनी थी। मार्च 2024 तक इसमें आंगनबाड़ियों के लगभग 37 करोड़ रुपये जमा हो चुके हैं, लेकिन सरकारी अंशदान नहीं मिला है। अब इसमें से सेवानिवृत्ति अनुदान को लेकर भी विभाग व संगठन में तकरार हो गई है। संगठन हर कार्यकर्ता व सहायिका के रिटायरमेंट पर 10 लाख अनुदान मांग रहा है, जबकि विभाग गुणा-भाग करके 30 हजार रुपये से ज्यादा अनुदान देने को राजी नहीं है। लिहाजा संगठन अब इस मामले को लेकर कोर्ट जाने की तैयारी कर रहा है।
महिला कल्याण कोष में सरकार ने कोई पैसा नहीं दिया है। इसमें सिर्फ हमारा पैसा है। इसे कैसे खर्च करना है, यह तय करने का हक भी हमारा होना चाहिए। 30 हजार की रकम ऊंट के मुंह में जीरे से भी कम है। इस मामले में कोर्ट जाने से पहले प्रत्येक ब्लॉक स्तर से सुझाव लिए जा रहे हैं। – रेखा नेगी, प्रदेश अध्यक्ष, उत्तराखंड राज्य आंगनबाड़ी कर्मचारी, सहायिका, मिनी कर्मचारी संगठन
महिला कल्याण कोष का गठन व उपयोग का मामला नीतिगत है। जिला स्तर से इसमें किसी तरह का हस्तक्षेप संभव नहीं है। शासन ही इसमें निर्णय ले सकता है। – सुलेखा सहगल, डीपीओ, बाल विकास, हरिद्वार