लोकशाही बनाम नौकरशाही … कार्मिक विभाग के अधिकारी भी चुप
देहरादून। राज्यमंत्री बनाम आईएएस अफसर के बीच छिड़ा विवाद सचिवों की वार्षिक चरित्र पंजिका (एसीआर) पर जा अटका है। एसीआर को लेकर सरकार के कुछ मंत्रियों ने जो राय जाहिर की है, वो बता रही है कि आईएएस अफसर अपनी स्वत: मूल्यांकन रिपोर्ट देने में हीलाहवाली कर रहे हैं। मामला लोकशाही बनाम नौकरशाही का हो जाने के कारण कार्मिक विभाग के अधिकारी भी चुप हैं। वे एसीआर की व्यवस्था के बारे में तो स्पष्ट करते हैं, लेकिन सचिवों की स्वत: मूल्यांकन रिपोर्ट समय पर विभागीय मंत्रियों के पास जा रही है कि नहीं, इस बारे में वे चुप हैं। लेकिन कृषि मंत्री सुबोध उनियाल के पास इस प्रश्न का जवाब है। उनके मुताबिक, उन्हें मूल्यांकन रिपोर्ट नहीं भेजी जा रही है। कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज ने एसीआर का मुद्दा उठाया ही है। यदि उन्होंने यह मुद्दा उठाया है तो जाहिर है कि उन्हें भी सीआर न लिख पाने का मलाल है। ऐसे हालातों में सीआर के मुद्दे पर मंत्रियों के अपने अपने अनुभव है। एक मंत्री ने नाम न बताने की शर्त पर कहा कि उनके पास पिछले दिनों ही सचिव की मूल्यांकन रिपोर्ट आई जिस पर उन्होंने अपनी टिप्पणी दर्ज की। यानी यह तो स्पष्ट है कि कुछ सचिव अपने विभागीय मंत्रियों को रिपोर्ट भेजने में उदासीनता बरत रहे हैं। ऐसा क्यों हैं, इसकी असल वजह या तो विभागीय मंत्री जानते हैं, या उनके सचिव। लेकिन जानकारों का मानना है कि जिन मंत्रियों का सचिवों से तालमेल गड़बड़ाया हुआ है, वहां इस तरह की दिक्कत आने की संभावना है। बहरहाल, इस पूरे प्रकरण से मंत्री बनाम नौकरशाही के हालात बनते दिख रहे हैं। इससे सरकार भी असहज है और उसकी ओर से ये प्रयास हो रहे हैं कि ये अध्याय यहीं समाप्त हो जाए। दरअसल, इसे लेकर विपक्षी दलों को सरकार और संगठन दोनों पर निशाना साधने का मौका मिल रहा है। ऐसे समय में जब सभी सियासी दल विधानसभा चुनाव के मोड में आ चुके हैं। ऐसे वक्त में मंत्रियों और अफसरों का तालमेल ज्यादा गड़बड़ाने से सरकार की उन योजनाओं पर असर पड़ सकता जो विस चुनाव के लिहाज महत्वपूर्ण मानी जा रही हैं।
विवाद की शुरुआत महिला कल्याण व बाल विकास मंत्री रेखा आर्य से हुई है। रेखा आर्य ने अपने विभागों से संबंधित सभी राजपत्रित अधिकारियों की 2017 से 2020 तक की एसीआर रिपोर्ट तलब कर ली है। वे भी यह देखना चाह रही हैं कि तीन साल की अवधि में किन-किन अफसरों ने उन्हें एसीआर नहीं भेजी। विभागीय मंत्री रेखा आर्य ने कहा कि विभाग के अफसर खुद की मूल्यांकन रिपोर्ट नहीं देते। उन्हें अब तक इस तरह की कोई रिपोर्ट नहीं मिली।
विभागीय मंत्री करते हैं समीक्षा: सचिव की एसीआर और वार्षिक मूल्यांकन आख्या विभागीय मंत्री को भेजने का प्रावधान है। वार्षिक मूल्यांकन आख्या के आधार पर ही एसीआर का आधार है। मूल्यांकन आख्या का एक प्रारूप होता है, जिसमें आईएएस अफसर को एक अप्रैल से लेकर 31 मार्च तक अवधि के दौरान अपने बारे में जानकारी दर्ज करनी होती है। इसके लिए बाकायदा समयसारिणी निर्धारित है। कार्मिक विभाग के सूत्रों के अनुसार, राज्य के राजपत्रित लोकसेवकों के लिए एसीआर का निपटारा 15 सितंबर तक होना चाहिए। विभागीय मंत्री सचिव की रिपोर्ट की समीक्षा कर अपनी संस्तुति देते हैं। उनकी संस्तुति पर मुख्यमंत्री स्वीकारता देते हैं। मुख्य सचिव सचिवों के रिपोर्टिंग अफसर होते हैं। सूत्रों के अनुसार, संयुक्त सचिव स्तर तक अधिकारियों की स्वत: मूल्यांकन रिपोर्ट व एसीआर विभागीय मंत्री को भेजने का प्रावधान हैं। वे इन अधिकारियों की एसीआर को स्वीकृति देते हैं।
अफसर, मंत्री की लड़ाई में कर्मचारियों की फजीहत: महिला सशक्तीकरण एवं बाल विकास विभाग में मानव संसाधन की उपलब्धता के लिए आउटसोर्सिंग एजेंसी के चयन को लेकर सच्चाई जो भी हो, लेकिन अफसर और मंत्री के बीच विवाद में कर्मचारियों की फजीहत हो रही है। वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट से जुड़ी योजनाएं भी इससे प्रभावित हुई हैं। केंद्र सरकार की ओर से जनहित में कई महत्वपूर्ण योजनाएं चलाई जा रही हैं। इसमें राष्ट्रीय पोषण मिशन, प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना, वन स्टॉप सेंटर, महिला हेल्पलाइन, महिला शक्ति केंद्र, वर्किंग वूमेन हॉस्टल आदि विभिन्न योजनाएं शामिल हैं। नियमानुसार विभाग में मई 2020 में नई आउटसोर्सिंग एजेंसी का चयन हो जाना चाहिए था, लेकिन मंत्री और अफसर के बीच विवाद के कारण समय पर नई आउटसोर्सिंग एजेंसी का चयन नहीं हो पाया। वहीं पिछले वर्ष जिस एजेंसी का चयन किया गया उसके कर्मचारियों को चार महीने से वेतन नहीं मिला। कर्मचारियों का कहना है कि बिना वेतन के उन्हें भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। हालांकि विभाग की मंत्री का कहना है कि उन्होंने विभाग के अधिकारियों को नई आउटसोर्सिंग एजेंसी का चयन होने तक वेतन दिए जाने का निर्देश दिया था। अधिकारियों की ओर से उनके निर्देश की अनदेखी की गई। उधर विभाग के अधिकारी इस मामले में कुछ भी बोलने को तैयार नहीं हैं।
एक सप्ताह के भीतर आ सकती है जांच रिपोर्ट: मुख्यमंत्री ने मामले की जांच के आदेश दिए वरिष्ठ आईएएस अधिकारी मनीषा पवार मामले की जांच कर रही है। समझा जा रहा है कि एक सप्ताह के भीतर वह मुख्य सचिव को जांच रिपोर्ट सौंप सकती हैं।