कोटद्वार। लालढांग-चिलरखाल मोटर मार्ग के निर्माण की मांग को लेकर नागरिक मंच समेत विभिन्न सामाजिक संगठनों ने प्रधानमंत्री, केन्द्रीय भूतल परिवहन मंत्री व मुख्यमंत्री के लिए ज्ञापन प्रेषित कर मोटर मार्ग निर्माण में आ रही बाधाओं को दूर करने की मांग की।वक्ताओं ने कहा पर्वतीय क्षेत्र में कच्चे-पक्के मोटर मार्ग बनने के बाद राज्य के दोनों मंडलों के मध्य रामनगर-कालागढ़-कोटद्वार-हरिद्वार मार्ग पर कभी एशिया की सबसे बड़ी ट्रांसपोर्ट कंपनी जीएमओयूलि की बसें ब्रिटिश काल से इस मार्ग पर आवागमन करती रही। कार्बेट नेशनल पार्क की स्थापना से पूर्व इस मार्ग पर नियमित बसों का संचालन किया जाता था। उन्होंने कहा कि चिलरखाल-लालढांग मोटर मार्ग 11.50 किमी. 11 जनवरी 2011 को वन विभाग, लोक निर्माण विभाग व राजस्व विभाग के संयुक्त निरीक्षण में 1970-80 के मध्य सड़क पेन्टेड होने के साक्ष्य मिलने के उपरान्त कभी वन विभाग, कभी शासन तो कभी विभिन्न संगठनों के द्वारा मार्ग निर्माण कार्य बाधित कराया जाता रहा है। पुलों के निर्माण से शुरू होने से क्षेत्रीय जनता को आस बंधी थी कि अब मार्ग का निर्माण पूरा होगा। लेकिन वर्तमान में किसी संस्था के द्वारा वन्य जन्तु व बाघ संरक्षण अथारिटी की आड़ पर कोर्ट से स्थगनादेश प्राप्त कर लिया गया है। वक्ताओं ने कहा कि रामनगर-कालागगढ़-कोटद्वार से लेकर चिलरखाल-लालढांग मोटर मार्ग निर्माण में बाधा डालने वालों का उत्तराखण्ड से कोई सरोकार नहीं है, लेकिन फिर भी वह यहां के विकास कार्यो में व्यवधान डालने का कार्य कर रहे हैं।ज्ञापन देने वालों में चंद्रप्रकाश नैथानी, डबल सिंह रावत, महानन्द ध्यानी, जयश्री मैंदोला, हरीश भदोला, राजेन्द्र सिंह नेगी, प्रवेश चन्द्र नवानी, शोभा बहुगुणा भंडारी, ओमप्रकाश, रतन सिंह नेगी, प्रवेन्द्र सिंह रावत, प्रमोद रावत, मदन सिंह नेगी, भास्करानन्द भारद्वाज, पूर्व प्रधान दीपक पांडे,ओमप्रकाश,उर्मिला,गोपाल कृष्ण बड़थ्वाल, सीपी डोबरियाल, महेन्द्र सिंह नेगी, कुंवर सिंह रावत,सुभाष कुकरेती, राम कुमार अग्रवाल आदि शामिल रहे।