केवीके चंबा की 20वीं वैज्ञानिक सलाहकार समिति बैठक आयोजित
फसलों की गुणवत्ता और उत्पादकता में सुधार की दिशा में काम करें वैज्ञानिक
आरएनएस ब्यूरो सोलन। कृषि विज्ञान केंद्र (केवीके) चंबा की 20वीं वैज्ञानिक सलाहकार समिति की बैठक ऑनलाइन और ऑफलाइन मोड में आयोजित की गई। चंबा जिले का केवीके डॉ. वाईएस परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय नौणी द्वारा चलाया जाता है। बैठक में आने वाले वर्ष में केवीके द्वारा की जाने वाली गतिविधियों का रोडमैप तैयार करने के लिए आयोजित की गई थी।
यह बैठक नौणी विवि के कुलपति डॉ. परविंदर कौशल की अध्यक्षता में आयोजित हुई और इसमें समिति के सभी सदस्यों ने भाग लिया। ऑनलाइन माध्यम से बैठक को संबोधित करते हुए डॉ. कौशल ने वैज्ञानिकों को पशुओं के चारे में सुधार के लिए कार्य करने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि ‘आकांक्षी जिला’ काटैग की वास्तविक क्षमता तक पहुँचने के जिले में अधिक व्यावसायिक और प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाने की आवश्यकता है। डॉ. कौशल ने कहा कि चंबा जिला विभिन्न कृषि जलवायु क्षेत्रों में आता है और विभिन्न कृषि और बागवानी फसलों जैसे एवोकैडो और लंबी शेल्फ लाइफ वाली फसलों की खेती की संभावना खोजने होगी। जिले में कम उत्पादकता और सेब की गुणवत्ता के मुद्दे पर डॉ कौशल ने कहा कि केवीके के वैज्ञानिकों को किसानों को खेती की नई तकनीकों और किस्मों के बारे में शिक्षित करना होगा और जहां संभव हो वहाँ क्लोनल रूट स्टॉक्स पर उच्च घनत्व वाले बाग़ीचे को बढ़ावा दिया जाना चाहिए।
इससे पूर्व केवीके समन्वयक डॉ. राजीव रैना ने प्रगति रिपोर्ट और आगामी वर्ष के लिए नियोजित गतिविधियों को प्रस्तुत किया। उन्होंने मिट्टी के छत्ते में मधुमक्खी पालन के माध्यम से सेब के बागों में परागण सेवाओं में सुधार की दिशा में स्टेशन की सफलता की कहानी साझा की। डॉ. रैना ने बताया कि स्टेशन द्वारा जिले में हींग की खेती पर ट्रायल इस वर्ष किए जाएंगे जबकि बांस को चारे के रूप में बढ़ावा देने की दिशा में कार्य चल रहा है। अटारी के क्षेत्रीय निदेशक डॉ. राजबीर सिंह ने लग्गा गाँव में केवीके द्वारा की गई कई पहलों की सफलता के लिए स्टेशन की सराहना की। उनका विचार था कि पशुधन पहाड़ी खेती का एक अभिन्न अंग है और इसलिए चारे में सुधार के लिए और अधिक काम करने की आवश्यकता है। उप निदेशक कृषि डॉ. कुलदीप धीमान ने सहयोगी कार्यक्रमों पर जोर दिया जबकि उप निदेशक बागवानी डॉ राजीव चंद्रा, ने विस्तार कर्मियों की क्षमता निर्माण, विशेष रूप से छंटाई के लिए प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों का समर्थन मांगा। एपीएमसी के प्रतिनिधियों और प्रगतिशील किसानों ने बताया कि किसानों में पौध संरक्षण के बारे में जानकारी की कमी के कारण सेब की गुणवत्ता कम हो रही है और यह जिले में एक बड़ी बाधा है। सूचना के प्रभावी प्रसार के लिए केवीके द्वारा कार्नेशन, लिलियम, सुगंधित पौधों की खेती और एफपीओ को अपनाने के रास्ते तलाशने की आवश्यकता का भी सुझाव दिया गया था।
विस्तार शिक्षा निदेशक डॉ. दिवेंद्र गुप्ता ने कहा कि किसानों को विभिन्न फसलों के लिए विश्वविद्यालय द्वारा जारी अनुशंसित स्प्रे शैड्यूल के बारे में शिक्षित करने की आवश्यकता है जिससे अच्छी उत्पादकता और गुणवत्ता सुनिश्चित की जा सकती है। उन्होंने कहा कि केवीके को, विशेष रूप से क्लस्टर स्तर पर युवाओं के लिए प्रशिक्षण गतिविधियों को बढ़ाना चाहिए। बैठक में डॉ. अतुल गुप्ता, सह निदेशक, आरएचआरटीएस जाच्छ, डॉ. अनिल सूद, संयुक्त निदेशक (संचार), डॉ. सी.एल. ठाकुर, संयुक्त निदेशक (प्रशिक्षण), डॉ. केहर सिंह सहित परियोजना निदेशक आत्मा, प्रगतिशील किसान और स्टेशन के सभी वैज्ञानिकों ने भाग लिया।