केरल विधानसभा हंगामा : सुप्रीम कोर्ट ने एलडीएफ विधायकों को राहत देने से किया इनकार

कहा- कानून से ऊपर नहीं हो सकते नेता

नई दिल्ली, 28 जुलाई (आरएनएस)।  सुप्रीम कोर्ट ने केरल विधानसभा में हंगामा करने वाले लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट के विधायकों को राहत देने से इनकार करते हुए याचिका को खारिज कर दी है। ये मामला साल 2015 का है, जब राज्य में कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट की सरकार थी। राज्य सरकार ने केरल हाईकोर्ट के 12 मार्च के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी और याचिका दाखिल कर विधायकों के खिलाफ केस वापस लेने की इजाजत मांगी थी।
सुप्रीम कोर्ट ने केरल के विधायकों की अनुशासनात्मक कार्रवाई को वापस लेने की मांग वाली याचिका खारिज करते हुए अपने फैसले में कहा की, चुने हुए लोग कानून से ऊपर नहीं हो सकते और उन्हें उनके अपराध के लिए छूट नहीं दी जा सकती। फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि विधायकों को विशेषाधिकार इसलिए दी गई है कि आप लोगों के लिए काम करो। असेंबली में तोडफ़ोड़ करने का अधिकार नहीं दिया गया है।
कोर्ट ने कहा कि, आपके विशेषाधिकार विधायकों को क्रिमिनल लॉ से संरक्षण नहीं देते हैं। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने केरल सरकार से पूछा था कि उपद्रवी विधायकों के खिलाफ दर्ज शिकायत वापस लेने और कार्यवाही निरस्त करना कौन से जनहित में आता है? कोर्ट के फैसले से ही ये नजीर बनेगी कि सदन में उपद्रव करने के नतीजे क्या हो सकते हैं? विशेषाधिकार की लक्ष्मण रेखा कहां तक है? राजनीतिक मुद्दे पर विरोध कहां तक हो सकता है? जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एमआर शाह की पीठ ने अजीत और अन्य के खिलाफ केरल सरकार की याचिका पर सुनाया फैसला है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि विधायकों के पास कानून से बचाव के लिए कोई विशेषाधिकार नहीं है। केरल सरकार द्वारा याचिका वापस लेना जनता के लिए न्याय नहीं होगा। ट्रायल कोर्ट भी एफआईआर वपास लेने की मांग खरिज कर चुका है। केरल सरकार की याचिका में कोई मेरिट नहीं है।

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