जलवायु परिवर्तन से सेहत पर पड़ा रहा सीधा असर

देहरादून। जलवायु परिवर्तन का उत्तराखंड में लोगों के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर सीधा असर पड़ रहा है। दून में विशेषज्ञों ने राउंड टेबल डॉयलॉग में इस पर चिंता जताई। साथ ही राज्य स्तर पर इससे निपटने के लिए रणनीति बनाने की जरूरत पर जोर दिया।
सामाजिक संस्था एसडीसी फाउंडेशन की ओर से आयोजित राउंडटेबल डायलॉग में वाडिया के पूर्व वैज्ञानिक डॉ. पीएस नेगी ने कहा कि स्थिति यह हो गई है कि जलवायु परिवर्तन की वजह से उच्च हिमालयी क्षेत्रों में औषधीय पौधों की प्रजातियां भी खतरे में हैं। तापमान में बढ़ोतरी ग्लेशियर सिमट रहे हैं, ब्लैक कार्बन की परत हिमालयी बर्फ पर जम रही है। मुख्य चिकित्सा अधिकारी एलबीएसएनएए, मसूरी डॉ. मयंक बडोला ने कहा कि हमें बीमारियों की मॉनिटरिंग के लिए मजबूत प्रणालि बनानी होगी, क्योंकि जलवायु परिवर्तन का सीधा असर सेहत पर पड़ रहा है। स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. मेघना असवाल ने कहा कि तापमान बढ़ने से सबसे ज्यादा गर्भवती महिलाएं प्रभावित हो रही हैं। प्रदूषण का असर गर्भस्थ शिशुओं पर भी पड़ रहा है। स्वास्थ्य विभाग के पूर्व अपर निदेशक डॉ.एसडी जोशी ने अपने अनुभव बताते हुए कहा कि धूम्रपान नहीं करने वालों के फेफड़ों तक में माइक्रो प्लास्टिक और ब्लैक कार्बन पहुंच रहा है। इससे स्ट्रोक, दिल के दौरे, मधुमेह, थायराइड जैसी बीमारियां बढ़ रही हैं। चर्चा में विशेषज्ञों ने कहा कि चमोली जिले में अब डेंगू के केस आने लगे हैं, नैनीताल में मच्छर पनप रहे हैं, जो कहीं न कहीं जलवायु परिवर्तन की वजह से हो रहा है।

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