होलिका दहन पर तीन मंगलकारी योग

रुडक़ी। होलिका दहन 28 मार्च को प्रदोष काल में होगा। ज्योतिषाचार्यों का कहना है कि होलिका दहन में तीन मंगलकारी योग बन रहे हैं। ग्रहों का भी जो संयोग बन रहा है वह सुख समृद्धि लाएगा। आईआईटी स्थित श्री सरस्वती मंदिर के पुजारी आचार्य राकेश शुक्ल ने बताया कि फाल्गुन शुक्ल पक्ष पूर्णिमा को होलिका दहन किया जाता है। इसमें तीन नियम मुख्य होते हैं। पूर्णिमा तिथि हो, भद्रा न हो या बीत चुकी हो, रात का समय हो। बताया कि 28 मार्च को प्रदोष काल में होलिका दहन होगा। पूर्णिमा तिथि सुबह 3.25 बजे से शुरू हो जाएगी जो रात करीब 12.15 बजे तक रहेगी। भद्रा का प्रदोष काल शाम 6.35 से 8.55 बजे तक होगा। इसी समय के बीच होलिका दहन शुभ रहेगा। बताया कि होलिका दहन पर तीन विशेष योग पड़ रहे हैं। सर्वार्थ सिद्धि योग, अमृत सिद्धि योग और ध्रुव योग। ये तीनों योग अपने नामों के अनुसार शुभ फल प्रदान करते हैं और कार्यों की सिद्धि होती है। इन विशेष योगों के साथ ग्रहों का भी अदभुत संयोग बन रहा है। देव गुरु बृहस्पति और शनि एक राशि मकर में संचार करेंगे।

यह है होलिका पूजन विधि: ज्योतिषाचार्य शुक्ल के अनुसार होलिका पूजन के लिए एक लोटा जल, सूखे उपले, रोली, चंदन, बताशे, नारियल, अनाज, कच्चा सूत, गुलाल और विभिन्न प्रकार के पकवान रखकर होलिका पूजन करें। कच्चा सूत लपेटते हुए होलिका की सात परिक्रमा करें। होलिका दहन स्थल से घर में अग्नि लाने से साल भर माता लक्ष्मी की विशेष कृपा प्राप्त होती है। इस दिन से नए अनाज का प्रयोग प्रारंभ हो जाता है।