जीएसटी फर्जी बिल मामले में 1180 कंपनियों के खिलाफ 350 मामले, 25 गिरफ्तार

दिल्ली, मुंबई, मेरठ, गुरुग्राम, मथुरा, कोलकाता, लुधियाना, सूरत समेत कई शहरों में की गई कार्रवाई

नई दिल्ली (आरएनएस)। वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) महानिदेशालय ने कर चोरी और फर्जी बिल के मामले में बड़ी कार्रवाई की है। देशभर में बीते चार दिनों में की गई कार्रवाई में 1,180 कंपनियों के खिलाफ 350 से ज्यादा मामले दर्ज किए गए हैं। वहीं, इस मामले में 25 लोगों को गिरफ्तार भी किया गया है। फिलहाल फर्जी बिल और हवाला रैकेट को देखते हुए जीएसटी रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया और सख्त कर दी गई है।
महानिदेशालय की ओर से जारी बयान के मुताबिक, ये गिरफ्तारियां कचरे और अलौह धातुओं के मलबे, रेडीमेड कपड़े, कृषि उत्पाद, दूध उत्पादों, मोबाइल, मानव श्रम आपूर्ति सेवाएं, विज्ञापन, सोना, चांदी और निर्माण सेवाओं में फर्जी बिल जारी करने को लेकर की गई हैं। इस मामले में शामिल लोगों और संस्थाओं पर जीएसटी चोरी, आयकर चोरी और मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े आरोप हैं। महानिदेशालय ने नवंबर के दूसरे हफ्ते से यह कार्रवाई की। ये कार्रवाइयां दिल्ली, बंगलूरू, मुंबई, लुधियाना, चेन्नई, नागपुर, कोलकाता, गुरुग्राम, अहमदाबाद, सूरत, वड़ोदरा, भिलाई, जोधपुर, हैदराबाद, मथुरा, रायपुर, विशाखापट्टनम, जमशेदपुर, पटना, इंफाल, मेरठ, गुवाहाटी, पुणे, सिलीगुड़ी, भोपाल, भुवनेश्वर समेत अन्य कई शहरों में की गईं। इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) पाने के लिए कंपनियां फर्जी बिल बनाती हैं। सूत्रों के मुताबिक, जीएसटी चोरी करने वालों और आईटीसी की धोखाधड़ी को अंजाम देने वालों के खिलाफ देशव्यापी अभियान जारी रहेगा। आने वाले दिनों में कुछ और गिरफ्तारियां की जा सकती हैं। इस धोखाधड़ी का फायदा उठाने वालों के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग के तहत प्रवर्तन निदेशालय भी जांच करेगा।

कारोबारियों को देना होगा ब्योरा

जिन कारोबार मालिकों या प्रमोटरों के पास आयकर भुगतान का रिकॉर्ड नहीं हैं, उनकी कंपनियों को जीएसटी पंजीकरण देने से पहले भौतिक और वित्तीय सत्यापन की आवश्यकता होगी। यह भी जांचा जाएगा कि उनके खिलाफ जीएसटी कानूनों, आयकर अधिनियम और मनी लॉन्ड्रिंग कानून के तहत कोई कार्रवाई तो नहीं की गई। फर्जी बिल जारी करने वाली ऐसी कंपनियों और फायदा उठाने वाले ऐसे कारोबारियों के खिलाफ विदेशी मुद्रा और तस्करी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम के तहत हिरासत में लिया जा सकता है। गौरतलब है कि फर्जी कंपनियां नकली बिल बनाती हैं। कोई वस्तु भेजे बिना ही फर्जी ई-वे बिल भी तैयार किए जाते हैं और उसके बाद सरकार से आईटीसी का दावा किया जाता है। जीएसटी के तहत कच्चे माल और दूसरी खरीद पर दिए गए कर की वापसी होती है।

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