पूर्व सीएम हरीश रावत ने दिए सरकार को बजट के लिए जरूरी सुझाव

देहरादून। पूर्व सीएम हरीश रावत ने रविवार को एक घंटे का मौन उपवास रखा। इसके बाद उन्होंने सरकार को बजट के लिए जरूरी सुझाव दिए। इसमें साफ किया कि सरकार उस वर्ग को विशेष राहत दे, जिस पर कोरोना का सबसे अधिक असर पड़ा है। कहा कि राज्य के सृजनात्मक कार्यों में लगे हुये लोगों के ऊपर कोरोना का सबसे ज्यादा दुष्प्रभाव पड़ा है। उनकी आर्थिक स्थिति कोरोना में बहुत बदहाल हुई है। उन्हें सरकार की मदद की बहुत जरूरत है। इन वर्गों में हमारे कलाकार, पत्रकार, वाद्ययंत्र वादक समेत तमाम दूसरे हमारे भाई-बहन हैं। इन लोगों की आवाज को मैं मौन उपवास के जरिए सरकार तक पहुंचा रहा हूं। ताकि सरकार इन वर्गों के लिये, समाज के इन हिस्सों के लिये कुछ व्यवस्था कर सकें।

आबकारी नीति पर उठाए गंभीर सवाल:

 

पूर्व सीएम हरीश रावत ने कैबिनेट से पास हुई आबकारी नीति पर गंभीर सवाल उठाए हैं। कहा कि सरकार ने एक वर्ष की बजाय दो वर्ष के लिए आबकारी नीति को बढ़ाने का फैसला लिया है। इसके साथ ही पूरी प्रक्रिया को फिर ई टेंडरिंग के जरिए किया जा रहा है। इसका सीधा अर्थ है कि उत्तराखंड के छोटे व्यापारी जो नीलामी में एक दुकान, दो दुकान ले लेते थे, अब वो सिरे से गायब हो जाएंगे। ई-टेंडरिंग के नाम पर बड़ी बड़ी और हम समझ गये हैं भाजपा को जिन्होंने मेरे विरोध में चुनाव में बड़ी-बड़ी गठरी दी थी, ये उनके नाम होने जा रहा है। जिनसे मैंने बड़ी मुश्किल से उत्तराखंड के आबकारी विभाग को छुड़ाया था। उनको फिर से भाजपा ने पूरा शराब व्यापार सौंपने का निर्णय ले लिया है, ऐसा मुझे प्रतीत होता है। जब सरकार एक साल के लिए है और तो नीति दो साल के लिए है। मुझे उम्मीद है कि इस मसले पर विपक्ष बोलेगा और जमकर बोलेगा। धन्य हैं भाजपा, कद्दू काटते हैं और फिर बांटते हैं।

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