भाजपा विधायक महेश नेगी की डीएनए जांच के निचली अदालत के फैसले पर रोक बरकरार, अगली सुनवाई 27 अप्रैल को
अल्मोड़ा, द्वाराहाट: द्वाराहाट विधायक महेश नेगी के खिलाफ एक महिला ने दुष्कर्म का आरोप लगाया था। इस मामले में पुलिस ने पीड़िता की ओर से मुकदमा दर्ज नहीं किया था। ऐसे में पीड़िता ने कोर्ट में शिकायत की। इसके बाद नेहरू कॉलोनी में विधायक महेश नेगी व उनकी पत्नी के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था।
पीड़िता का आरोप है कि विधायक ने देश के कई शहरों में ले जाकर उसके साथ दुष्कर्म किया है। इससे उनकी एक बेटी भी पैदा हुई है। पीड़िता का दावा है कि उसने बेटी का डीएनए टेस्ट कराया था, जिसमें महेश नेगी ही उसके जैविक पिता होने की पुष्टि हुई थी। हाई कोर्ट ने द्वाराहाट से भाजपा विधायक महेश नेगी को डीएनए जांच के लिए कोर्ट में पेश होने संबंधी निचली अदालत के फैसले पर रोक बरकरार रखते हुए अगली सुनवाई 27 अप्रैल को नियत कर दी। कोर्ट ने मामले में राज्य सरकार से भी तीन सप्ताह के भीतर जवाब तलब किया है।
न्यायाधीश न्यायमूर्ति रमेश चंद्र खुल्बे की एकलपीठ में मंगलवार को विधायक महेश नेगी की याचिका पर सुनवाई हुई। उन्होंने देहरादून सीजेएम कोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी है, जिसमें विधायक को डीएनए सैंपल देने के लिए कोर्ट में पेश होने व सीएमओ को सैंपल लेने के लिए बुलाने का आदेश पारित किया था। हालांकि हाई कोर्ट ने 11 जनवरी को ही निचली अदालत के आदेश पर रोक लगा दी थी। याचिकाकर्ता ने अदालत को बताया कि शिकायतकर्ता ने शामली के जिस डाक्टर की डीएनए टेस्ट रिपोर्ट का जिक्र किया है, वह फर्जी है।
बता दें कि, डाक्टर ने विवेचक को खुद ही बयान दिया है कि उनके यहां किसी का डीएनए सैंपल नहीं लिया गया। डीएनए की जांच बिना अदालत के आदेश के नहीं हो सकती। पीड़िता ने अदालत में जो डीएनए रिपोर्ट दाखिल की है, वह फर्जी है। संबंधित रिपोर्ट ब्लैकमेल करने के लिए फर्जी तरीके से तैयार की गई है। यह भी सवाल उठाया कि आज तक शिकायतकर्ता के पति की ओर से सक्षम अधिकारी के समक्ष या कोर्ट में बच्ची के पिता होने के संबंध में किसी तरह का सवाल नहीं उठाया गया। एकलपीठ ने मामले को सुनने के बाद निचली कोर्ट के आदेश पर रोक बरकरार रखते हुए अगली सुनवाई 27 अप्रैल को नियत कर दी। साथ ही सरकार को मामले में तीन सप्ताह में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया।
(रिपोर्ट: मनीष नेगी द्वाराहाट)