दशहरे पर अखाड़ों में किया गया शस्त्र पूजन

धर्म और राष्ट्र की रक्षा को शस्त्रों का उपयोग जरुरी:  महंत रविंद्रपुरी

हरिद्वार। पंचायती अखाड़ा श्री महानिर्वाणी में दशहरा पर्व पर संतो ने शस्त्रों का पूजन किया। महानिर्वाणी अखाड़े के सचिव महंत रविंद्रपुरी महाराज ने कहा कि शास्त्रों में धर्म और राष्ट्र की रक्षा के लिए शस्त्रों का उपयोग आवश्यक बताया गया है। विजयादशमी के अवसर पर अखाड़ों में शस्त्र पूजन का विशेष महत्व है। दशहरे के दिन अखाड़े अपने प्राचीन देवताओं और शस्त्रों की पूजा करते हैं। आदि अनादि काल से यह परंपरा चली आ रही है। शस्त्र पूजन की परंपरा का निर्वाह करते हुए भैरव प्रकाश और सूर्य प्रकाश नामक भाले का देवता के रूप में पूजन किया गया। उन्हें दूध, दही ,शहद, फल-फूल और नवरात्र के अवसर पर उगाए गए हरेले से पूजा गया। भैरव प्रकाश और सूर्य प्रकाश देवता रूपी भाले कुंभ मेले के अवसर पर अखाड़ों की पेशवाई के आगे चलते हैं। इन भाला रूपी देवताओं को कुंभ में शाही स्नानों में सबसे पहले गंगा स्नान कराया जाता है। उसके बाद अखाड़ों के आचार्य महामंडलेश्वर, महामंडलेश्वर, जमात के महंत और अन्य नागा साधु स्नान करते हैं। इस अवसर पर श्री महंत अखिलेश भारती, श्रीमहंत कमल पुरी, श्रीमहंत महेश गिरी, महंत विनोद गिरी, हनुमान बाबा, थानापति बृजकिशोर गिरी, ज्ञान भारती, किशन पुरी आदि संतजन मौजूद रहे।


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