डी.बी.टी बायोटेक किसान परियोजना के अन्तर्गत कृषकों का ‘रबी फसलों का बीजोत्पादन‘ पर प्रशिक्षण कार्यक्रम संपन्न
अल्मोड़ा। विवेकानन्द पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, अल्मोड़ा के प्रयोगात्मक प्रक्षेत्र, हवालबाग में डी.बी.टी बायोटेक किसान परियोजना के अन्तर्गत ‘रबी फसलों का बीजोत्पादन’ विषय पर 9 से 11 फरवरी 2021 तक तीन-दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में हरिद्वार एवं सितारगंज , उधम सिंह नगर के 2 गाँवों से आये हुए 20 प्रशिक्षु कृषक, जिनमें 10 पुरूष एवं 10 कृषक महिलाओं ने भाग लिया।
प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान रबी फसलों में बीजोत्पादन की सामान्य विधियां कृषकों को बताई गई। फसलों में गेहूं, विभिन्न सब्जी फसलें जैसे की मटर, शिमला मिर्च, टमाटर इत्यादि, दलहनी फसलें व तिलहनी फसलों में बीज उत्पादन की विधियां कृषकों को बताई गई। कृषकों को संस्थान के प्रक्षेत्र फार्म में चल रही विभिन्न रबी फसलों के बीज उत्पादन को व्यवहारिक रुप से देखने का मौका मिला और संबंधित विशेषज्ञों ने ना केवल उनकी कई शंकाओं का निदान किया वरन् इस बारे में कई महत्वपूर्ण जानकारियां भी दी। प्रशिक्षण के दौरान बीजोत्पादन में इस्तेमाल होने वाली अभियांत्रिकी तथा मशीनरी से भी कृषकों को अवगत कराया गया। इस संबंध में उन्नत सस्य क्रियाऐं, बीज संसाधन की सामान्य विधियां एवं यांत्रिकी पर किसानों को न केवल व्याख्यानों की मदद से बताया गया अपितु इस संबंध में क्षेत्र में चल रही व्यवहारिक गतिविधियांं से अवगत करवाने हेतु प्रक्षेत्र भ्रमण भी करवाया गया। सामान्य किसानी के अलावा आय बढ़ाने वाली उन्नत कृषि तकनीकें जैसे कि मशरूम उत्पादन और बे-मौसमी सब्जी उत्पादन के बारे में भी किसानों को बताया गया तथा संस्थान में इन पर चल रही गतिविधियों से अवगत कराया गया। बीज उत्पादन तथा भंडारण के दौरान होने वाले रोगों तथा कीटों के बारे में किसानों की विशेष रूचि होने के कारण ना केवल इन विषयों पर व्याख्यान प्रस्तुत किए गए अपितु संस्थान की रोगों/कीटों की रोकथाम के लिए बनाई गई उन्नत तकनीकों का भी कृषकों के मध्य प्रदर्शन किया गया।
इस प्रशिक्षण के दौरान बीज उत्पादन के क्षेत्र में किसानों के लिए संभावनाएं और होने वाले फायदों से भी कृषकों को अवगत कराया गया। भा.कृ.अनु.प.-विवेकानन्द पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, अल्मोड़ा किसानों की सहभागिता से होने वाले सत्यापित बीज का उत्पादन पहले से ही सितारगंज और बैलपड़ाव के कुछ गांवों में कर रहा है, अतः इस संबंध में प्रशिक्षु कृषकों को देश में चल रहे विभिन्न सहभागिता बीज कार्यक्रमों के फायदों से अवगत कराया गया तथा इन कार्यक्रमों से जुड़कर लाभ कमाने के लिए आव्हान किया गया। अल्मोड़ा वन प्रभाग के डी.एफ.ओ. श्री महातिम यादव द्वारा “पर्वतीय कृषि में वन्य जीवों से नुकसान से बचाव हेतु विधिक सलाह एवं प्रबन्धन” विषय पर व्याख्यान दिया गया।
संस्थान के निदेशक डॉ0 लक्ष्मी कान्त ने कृषकों से कृषि में उन्नत एवं वैज्ञानिक विधि को अपनाकर अपनी आय तथा क्षेत्रों की उत्पादकता एवं उत्पादन बढ़ाने का आह्वान किया। इसके अतिरिक्त उन्होंने संस्थान द्वारा पर्वतीय कृषि को नयी ऊँचाइयों तक पहुँचाने के लिये किये गये महत्वपूर्ण शोध कार्यों की जानकारी विस्तारपूर्वक दी।
कार्यक्रम के अन्त में कृषकों से प्रशिक्षण तथा उनकी समस्याओं के विषय में खुला विचार-विमर्श हुआ तथा कृषकों की प्रतिक्रिया भी ली गयी। प्रशिक्षण सफलतापूर्वक सम्पन्न करने वाले कृषकों को संस्थान के निदेशक द्वारा प्रमाण-पत्र वितरित किये गये। कृषकों को प्रशिक्षण से संबंधित प्रशिक्षण पुस्तिका भी प्रदान की गयी। कृषक दल का नेतृत्व कर रहे हैस्को, देहरादून से जुड़े तकनीकी अधिकारी श्री मनमोहन सिंह नेगी जी ने प्रशिक्षण कार्यक्रम को शिक्षाप्रद, सूचनात्मक व कृषकों के लिये बहुत उपयोगी बताया।
कार्यक्रम का समन्वयन डॉ0 रेनू जेठी एवं डॉ0 नवीन चन्द्र गहत्याड़ी द्वारा किया गया। प्रशिक्षण में संस्थान के निदेशक डॉ0 लक्ष्मी कान्त, विभिन्न वैज्ञानिकों, डा0 एन0के0 हेडाऊ, डा0 के0के0 मिश्रा, डा0 शेर सिंह, डा0 दिबाकर महंता, डा0 अनुराधा भारतीय, डा0 गणेश वासुदेव, डा0 जितेन्द्र कुमार तथा तकनीकी अधिकारियों नागेन्द्र पाठक, जे0पी0 गुप्ता तथा शिव सिंह ने विशेषज्ञ के तौर पर भाग लिया।