कोरोना के कारण अटका यात्री वाहनों के किराये का निर्धारण

देहरादून। उत्तराखंड में कोरेाना वायरस के कारण यात्री वाहनों का एक वर्ष से किराये का निर्धारण नहीं हो पाया है। इसके साथ ही परिवहन समझौतों और अंतरराज्यीय परमिट से संबंधित प्रस्ताव भी फिलहाल लंबित चल रहे हैं। इसका कारण बीते एक वर्ष से राज्य परिवहन प्राधिकरण की बैठक का न हो पाना है। प्रदेश में यात्री वाहनो के किराया, अंतरराज्यीय परमिट, परमिटों का नवीनीकरण, वाहनों के रजिस्ट्रेशन पर कार्रवाई करने आदि का कार्य एसटीए के जरिये किया जाता है। एसटीए की मार्च 2020 में हुई अंतिम बैठक में यह निर्णय लिया गया था कि आगे से हर वर्ष परिवहन निगम व व्यावसायिक वाहनों का किराया निर्धारित किया जाएगा। दरअसल, एसटीए में अमूमन चार से पांच वर्ष में एक बार यात्री किराये का निर्धारण हो रहा था। पेट्रोल व डीजल समेत अन्य वस्तुओं की कीमत बढऩे के कारण किराये में 15 से 20 फीसद तक की बढ़ोतरी की गई थी। इससे आमजन में रोष भी था। इसी वजह से किराये को हर वर्ष तय करने का निर्णय लिया गया। इसके लिए इस वर्ष एसटीए की बैठक होनी थी। एसटीए की बैठक में यात्री किराये के साथ ही उत्तर प्रदेश से हुए परिवहन समझौते के बिंदुओं पर मुहर लगाने और अंतरराज्यीय मार्गों पर परमिट देने आदि विषयों पर चर्चा प्रस्तावित थी। इस बीच विभिन्न राज्यों के विधानसभा चुनावों में उत्तराखंड के अधिकारियों की ड्यूटी लग गई। इसमें परिवहन विभाग के अधिकारी भी शामिल रहे। चुनाव समाप्त हुए तो बैठक की उम्मीद जगी। चारधाम यात्रा को देखते हुए भी बैठक अहम मानी जा रही थी। इस बीच 15 अप्रैल से कोरोना संक्रमण के ममालों ने गति पकडऩी शुरू की। चारधाम यात्रा स्थगित हो गई। इसके बाद परिवहन विभाग के अधिकारियों की जिम्मेदारी आक्सीजन की सुचारू सप्लाई के लिए लगा दी गई है। ऐसे में फिलहाल एसटीए की बैठक के आसार नहीं है। सचिव एसटीए और उप आयुक्त परिवहन एसके सिंह का कहना है कि मौजूदा परिस्थितयों में एसटीए की बैठक नहीं आयोजित जा सकती। कोई अहम विषय होगा तो उसे विचलन के माध्यम से करा दिया जाएगा।

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