सिविल और इलेक्ट्रिकल इंजीनियरों का अलग हो कैडर

देहरादून(आरएनएस)। जल संस्थान में सिविल और इलेक्ट्रिकल इंजीनियरों का कैडर अलग अलग न होने का मसला फिर उठ गया है। जल संस्थान डिप्लोमा इंजीनियर्स संघ ने सचिव पेयजल शैलेश बगोली से मिल कर सिविल और इलेक्ट्रिकल का अलग अलग ढांचा बनाए जाने की मांग की। अध्यक्ष मनोज बरगली ने कहा कि पूरे उत्तराखंड में जल संस्थान एक ऐसा विभाग है, जहां सिविल और इलेक्ट्रिकल इंजीनियरों का कैडर अलग अलग नहीं है। जबकि लोक सेवा आयोग में सिविल और इलेक्ट्रिकल इंजीनियरों का अध्याचन अलग अलग जाता है। परीक्षा अलग अलग होती है। इसके बाद जब चयन होकर सभी जल संस्थान में आते हैं, तो उन्हें एक ही कैडर में डाल दिया जाता है। इसके कारण जल संस्था में सिविल वाले इंजीनियर इलेक्ट्रिकल का काम संभाल रहे हैं। इलेक्ट्रिकल वाले इंजीनियर सिविल का काम संभाल रहे हैं। कहा कि इस तरह का रवैया दुर्घटनाओं का कारण बन रहा है। चमोली एसटीपी हादसे की एक बड़ी वजह यही रही। इस बड़े हादसे के बावजूद न जल संस्थान मैनेजमेंट और न ही शासन स्तर से कोई ठोस व्यवस्था बनाई गई। जबकि मुख्य सचिव ने हादसे के बाद साफ किया था कि सिविल और इलेक्ट्रिकल इंजीनियरों का अलग अलग कैडर बनेगा। सिविल का काम सिविल और इलेक्ट्रिकल का काम इलेक्ट्रिकल वाले इंजीनियर ही करेंगे। इसके बाद भी अभी तक इस दिशा में कोई ठोस व्यवस्था नहीं बनाई गई है। कहा कि तत्काल सिविल और इलेक्ट्रिकल को लेकर जल निगम जैसी व्यवस्था बनाई जाए। सचिव पेयजल ने इस दिशा में ठोस कार्रवाई का आश्वासन दिया। इस अवसर पर महामंत्री जयपाल सिंह चौहान भी मौजूद रहे।

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