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अकड़ ढीली नहीं हुई तो दक्षिण चीन सागर में ‘महत्वपूर्ण’ भूमिका निभाएगा भारत

संयुक्त रूप से पेट्रोलिंग करने संबंधी अमेरिकी प्रस्ताव पर जारी है मंथन

अंतिम फैसले के लिए भारत को ही चीन के भावी रुख का इंतजार

नई दिल्ली,10 जुलाई (आरएनएस)। वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर अगर चीन की अकड़ ढीली नहीं हुई तो भारत दक्षिण चीन सागर मामले में मुखर भूमिका निभाएगा। इस मामले मेंं अपनी भूमिका तय करने केलिए भारत एलएसी पर तनाव मामले में चीन के भावी रुख का इंतजार कर रहा है। जबकि अमेरिका चाहता है कि इस मुद्दे पर भारत खुल कर उसके साथ आए। चीन को घेरने के लिए अमेरिका की कोशिश भारत, ब्रिटेन, जापान, ऑस्ट्रेलिया जैसे जैसे कई देशोंं को एक मंच पर लाने की है।
उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक एलएसी पर तनाव के बीच अमेरिका का प्रस्ताव था कि भारत दक्षिण सागर मामले में उसकी रणनीति का हिस्सा बने। भारत, ब्रिटेन समेत कुछ देश संयुक्त रूप से इस इलाकेमें पेट्रोलिंग करे। भारत अब तक इस विवाद पर अपनी परोक्ष भूमिका निभाता रहा है। उसने सीधे-सीधे कभी इस विवाद में चीन का नाम ले कर कोई बयान नहीं दिया है। हालांकि अब बदली परिस्थितियों में मंथन इस बात पर हो रहा है कि भारत को इस मामले में मुखर भूमिका निभानी चाहिए या नहीं। यह सारा कुछ इस बात पर निर्भर करता है कि चीन एलएसी पर अपनी आक्रामक भूमिका जारी रखता है या इसमें नरमी लाता है। अगर चीन की आक्रामकता जारी रही तो भारत इस मामले में अब तक अपनी ओर से निष्पक्ष भूमिका अदा करने की रणनीति पर पुनर्विचार कर सकता है।
दरअसल दक्षिण चीन सागर मामले में अब तक अमेरिका की ही भूमिका मुखर रही है। भारत इस मामले में परोक्ष रूप से चीन की मुखालफत करता रहा है। इस इलाकेमें चीनी प्रभुत्व के बाद अमेरिका की नौ सेना ही उसे चुनौती देती रही है। सिर्फ ब्रिटेन ने एक बार अमेरिका के साथ इस इलाकेमें संयुक्त रूप से पेट्रोलिंंग की थी। अब अमेरिका चाहता है कि भारत इस मामले मेंं अपनी मुखर भूमिका निभाए। खासतौर पर पेट्रोलिंग प्रक्रिया में अमेरिका के साथ आगे बढ़े।
चीन पर दबाव का बड़ा कारण
लद्दाख स्थित एलएसी पर चीन के रुख में अचानक आई नरमी को अब दक्षिण चीन सागर मामले से जोड़ कर देखा जा रहा है। सूत्रों का कहना था कि इस मामले में भारत की मुखर भूमिका निभाने की मजबूत संभावना के संदेश के बाद ही चीन की अकड़ ढीली हुई। चीन को पता है कि इस मुद्दे पर भारत की मुखर भूमिका से उसकेसबसे बड़े प्रतिद्वंद्वी अमेरिका को स्थिति मजबूत होगी। फिर भारत के साथ आने के बाद ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, जापान, ऑस्ट्रेलिया जैसे देश भी इस मुद्दे पर अमेरिका के साथ खड़े हो सकते हैं। यही कारण है कि एलएसी पर आक्रामक भूमिका निभाने वाले चीन ने अचानक तनाव कम करने के लिए अपने सैनिकों को पीछे हटाने की भारत की शर्त मान ली।
विकल्प खुला रखेगा भारत
एलएसी पर हालांकि शांति बहाली के संकेत हैं, मगर भारत ने दक्षिण चीन सागर मामले में अपने विकल्प खुला रखने के संकेत दिए हैं। आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि इस मुद्दे पर भविष्य मेंं भारत की रणनीति क्या होगी यह बहुत कुछ चीन के भावी रुख पर निर्भर करेगा। अगर चीन का रवैया एलएसी पर फिर से तनाव पैदा करने की रही तो निश्चित रूप से भारत इस संबंध में अमेरिका के प्रस्ताव पर नए सिरे से मंथन करेगा।


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